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आरक्षण विधेयक विवाद:आरक्षण पर राजभवन का पलटवार, कहा-पत्र में विशेष का उल्लेख नहीं – आरक्षण विवाद पर छग राजभवन पलटवार

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छत्तीसगढ़ राजभवन

छत्तीसगढ़ राजभवन
– फोटो : बातचीत समाचार एजेंसी

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नाटकीय विवाद को लेकर माचे घमासान के बीच राजभवन इस मामले में पलटवार किया जाता है। राजभवन की ओर से इस संबंध में कहा गया है कि अधिसूचना विवरणों का पंजीकरण नहीं किया गया है। उन विशेष एवं संघटित रहस्यों को नहीं बताया गया है, जिसके अनुसार रेखीय जाति, रेखीय जनजातियाँ एवं अन्य परत श्रेणी के तथ्यों के प्रतिशत राज्य की सेवाएँ प्रत्येक भर्ती वर्ष के लिए 50 प्रतिशत से अधिक हो सकती हैं। किसी विशेष निर्देश का उल्लेख पत्र में नहीं किया गया है, जो लगभग डेढ़ महीने बाद बनी हुई थी और न ही विशेष के संबंध में किसी डेटाबेस को प्रस्तुत किया गया है।

यह भी पढ़ें…नटखट बिल विवाद: सीएम भूपेश ने कहा- बीजेपी नेताओं के दबाव में राज्यपाल, एकात्म परिसर में तमाशा है विधि सलाहकार

वहीं, ऐसा कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है कि राज्य के क्षेत्र, समाचार जनजातियों के व्यक्ति किस प्रकार से सामाजिक, आर्थिक एवं लापरवाही से पिछड़े हुए हैं। सरकार ने छत्तीसगढ राज्य के क्षेत्र एवं जनजाति के सामाजिक, आर्थिक और पिछड़ेपन को ज्ञात करने के लिए किसी समिति के गठन की जानकारी नहीं दी है न ही ऐसी कोई रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। इतना ही नहीं क्वांटिफाइबल डाटाबेस कमीशन की रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की गई है। प्रासंगिक अधिनियम के संबंध में नियम एवं विधायी कार्य विभाग के अभिमत को प्रेषित नहीं किया गया है।

जानें क्या था मामला
इस मामले में भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्यपाल भाजपा नेता दबाव में हैं। राजभवन का विधि सलाहकार एकात्म परिसर में चित्र हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के दिए बयानों का उल्लेख किया कि ‘मुख्यमंत्री की इच्छा से तैयार किए गए बिल पर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं कर सकते’। इसे लेकर सीएम बघेल ने कहा कि बिल विभाग तैयार करता है। कैबिनेट में प्रेजेंटेशन होता है। फिर एडवाइजरी कमेटी के सामने विधानसभा में चर्चा होती है।

यह भी पढ़ें…आश्चर्यजनक रूप से रार: सीएम भूपेश ने कहा- विरोध पर भी राज्यपाल का अहंकार सेट किया, विधानसभा से बड़ी है विधि सलाहकार?

उन्होंने कहा था कि निष्कर्ष बिल के लिए पूरी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। विधानसभा में संपत्तियों को पास किया गया। इसमें सभी लोगों ने भाग लिया। भोपाल भूपेश बघेल ने कहा कि संबंधित ने भी इसमें भाग लिया, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि रमन सिंह जैसे व्यक्ति जो 15 साल छत्तीसगढ़ के रहे रहे, वह ऐसी बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि, भाजपा के एक भी नेता ने राज्यपाल से यह नहीं कहा कि बिल पर हस्ताक्षर करें।

सर बघेल ने तंज कसते हुए कहा था कि ये जो विधिक सलाह है, कौन है। यह एकात्म परिसर में स्थित हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों के मना करने पर भी राज्यपाल के सवालों का जवाब दिया जाएगा, लेकिन गड़बड़ी दूर करेंगे। हम फिर भेजेंगे, फिर ऐसा करेंगे। कुल मिलाकर राज्यपाल को भ्रष्टाचार नहीं करना है। उन्होंने कहा कि, नहीं करना है तो बिल वापस करें। उनके अधिकार क्षेत्र में है कि बिल उचित नहीं लगता है तो सरकार को वापस करें।

विस्तार

नाटकीय विवाद को लेकर माचे घमासान के बीच राजभवन इस मामले में पलटवार किया जाता है। राजभवन की ओर से इस संबंध में कहा गया है कि अधिसूचना विवरणों का पंजीकरण नहीं किया गया है। उन विशेष एवं संघटित रहस्यों को नहीं बताया गया है, जिसके अनुसार रेखीय जाति, रेखीय जनजातियाँ एवं अन्य परत श्रेणी के तथ्यों के प्रतिशत राज्य की सेवाएँ प्रत्येक भर्ती वर्ष के लिए 50 प्रतिशत से अधिक हो सकती हैं। किसी विशेष निर्देश का उल्लेख पत्र में नहीं किया गया है, जो लगभग डेढ़ महीने बाद बनी हुई थी और न ही विशेष के संबंध में किसी डेटाबेस को प्रस्तुत किया गया है।

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वहीं, ऐसा कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है कि राज्य के क्षेत्र, समाचार जनजातियों के व्यक्ति किस प्रकार से सामाजिक, आर्थिक एवं लापरवाही से पिछड़े हुए हैं। सरकार ने छत्तीसगढ राज्य के क्षेत्र एवं जनजाति के सामाजिक, आर्थिक और पिछड़ेपन को ज्ञात करने के लिए किसी समिति के गठन की जानकारी नहीं दी है न ही ऐसी कोई रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। इतना ही नहीं क्वांटिफाइबल डाटाबेस कमीशन की रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की गई है। प्रासंगिक अधिनियम के संबंध में नियम एवं विधायी कार्य विभाग के अभिमत को प्रेषित नहीं किया गया है।

जानें क्या था मामला

इस मामले में भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्यपाल भाजपा नेता दबाव में हैं। राजभवन का विधि सलाहकार एकात्म परिसर में चित्र हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के दिए बयानों का उल्लेख किया कि ‘मुख्यमंत्री की इच्छा से तैयार किए गए बिल पर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं कर सकते’। इसे लेकर सीएम बघेल ने कहा कि बिल विभाग तैयार करता है। कैबिनेट में प्रेजेंटेशन होता है। फिर एडवाइजरी कमेटी के सामने विधानसभा में चर्चा होती है।

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उन्होंने कहा था कि निष्कर्ष बिल के लिए पूरी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। विधानसभा में संपत्तियों को पास किया गया। इसमें सभी लोगों ने भाग लिया। भोपाल भूपेश बघेल ने कहा कि संबंधित ने भी इसमें भाग लिया, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि रमन सिंह जैसे व्यक्ति जो 15 साल छत्तीसगढ़ के रहे रहे, वह ऐसी बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि, भाजपा के एक भी नेता ने राज्यपाल से यह नहीं कहा कि बिल पर हस्ताक्षर करें।

सर बघेल ने तंज कसते हुए कहा था कि ये जो विधिक सलाह है, कौन है। यह एकात्म परिसर में स्थित हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों के मना करने पर भी राज्यपाल के सवालों का जवाब दिया जाएगा, लेकिन गड़बड़ी दूर करेंगे। हम फिर भेजेंगे, फिर ऐसा करेंगे। कुल मिलाकर राज्यपाल को भ्रष्टाचार नहीं करना है। उन्होंने कहा कि, नहीं करना है तो बिल वापस करें। उनके अधिकार क्षेत्र में है कि बिल उचित नहीं लगता है तो सरकार को वापस करें।

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राज्यपाल ने जारी रखा है

सीएम ने कहा कि, गवर्नर बिल को राष्ट्रपति को प्रमाण पत्र या फिर गतिविधि के लिए अपने पास रखें। वह अपने पास एक्टिवा तक के लिए चाहते हैं, लेकिन दिख रहे हैं। यह उचित नहीं है। बघेल ने कहा कि जो विधानसभा छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी पंचायत है, जहां से प्राधिकरण पास किया गया है। ये विटक सलाहकार जो एक ही परिसर में फैले हुए हैं, वह विधानसभा से बड़ा हो गया है।



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