कांकेर जिला (उत्तर बस्तर)

ट्रकों-बसों में भरकर पहुंचे आदिवासी,कैंप-पुल का विरोध करने वाले भी शामिल;IG और जवान भी निशाने पर

बस्तर संभाग में आदिवासी समुदाय गुरुवार को भूमकाल दिवस मना रहा है। ग्रामीण कांकेर में पैदल रैली निकाल जनसभा करेंगे। हजारों की संख्या में ट्रकों और बसों से ग्रामीणों का पहुंचना जारी है। बस्तर की समस्याओं के साथ नक्सल मुठभेड़ को लेकर ग्रामीणों के निशाने पर जवान भी हैं। खास बात यह है कि प्रदर्शन में कैंप-पुल का विरोध कर रहे ग्रामीण भी शामिल हो रहे हैं। इसे देखते हुए क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।दरअसल, शहीद वीर गुंडाधुर के 112वें बलिदान दिवस पर बस्तर की समस्याओं को लेकर आदिवासी आंदोलनरत हैं। इसी के चलते वे अपनी मांगों का एक ज्ञापन भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यपाल के नाम कलेक्टर को सौपेंगे। इन मांगों में बस्तर में सुविधाओं के साथ ही सिलगेर और तालमेटला मुठभेड़ जैसे मामले भी हैं।

  • सिरगेर हत्याकांड के दोषी जवानों और जिम्मेदार अफसरों को सजा दी जाए। पीड़ित परिवारों को 50-50 लाख रुपए मुआवला मिले।
  • तालमेटला, सारकेगुड़ा, एड्समेटा की मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए शामिल जवानों और बस्तर के तत्कालीन आईजी एसआरपी कल्लूरी की सेवा समाप्त कर न्यायिक जांच की मांग।
  • कांकेर में अलग-अलग जगहों पर मुठभेड़ के नाम पर ग्रामीणों की हत्या का आरोप। नारायणपुर में बस्तर फाइटर की तैयारी कर रहे युवक को मार दिया। ऐसे फर्जी एनकाउंटर पर रोक लगे।
  • बस्तर अनुसूचित क्षेत्र में शामिल है, फिर भी बाहरी लोगों को नकली ग्राम सभा लगाकर गतिपिधियों की छूट दी जा रही है। इस पर रोक लगे।
  • बस्तर संभाग में 5वीं अनुसूची का पालन किया जाए।
  • जनगणना में बस्तर आदिवासियों को अलग से धर्म कोर्ड का कॉलम दें।
  • कोयलीबेड़ा क्षैत्र के 14 ग्राम पंचायतों की अनुसूचित जनलातियों को आरक्षण मिले। सामान्य सरपंच पद असंवैधानिक है।
  • प्रस्तावित बेचाघाट पुल निर्माण, सिताराम पर्यटन स्थल बंद किया जाए|
बसों और ट्रकों में भरकर पहुंचे हैं आदिवासी।

ग्रामीणों की रैली शुरू हो गई है। पारंपरिक वाद्ययंत्र लिए आदिवासी पुरूष और महिलाएं रैली में शामिल हैं। ये सभी ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंच रहे हैं। वहां अपनी मांगों का पत्र देने के बाद जनसभा करेंगे। आदिवासियों की इस बड़ी रैली को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। खासकर जिला मुख्यालय छावनी में तब्दील हो गया है। प्रदर्शन में धुर नक्सल प्रभावित बेचाघाट में 65 दिनों से कैंप और पुल के विरोध में बैठे ग्रामीण भी शामिल हैं। इसे देखते हुए प्रशासन अलर्ट मोड पर है।

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