कबीरधाम विशेष

कवर्धा : अंधाधुंध कटाई:दस साल में 38 वर्ग किमी जंगल खत्म, इतने में तो कवर्धा जैसे दो शहर बस जाते

  • ऑक्सीजन की होगी कमी, क्योंकि प्राकृतिक रूप से प्राण वायु देने वाले पेड़ काटे जा रहे और जिम्मेदार मौन हैं

बीते 10 साल में कबीरधाम जिले में 38 वर्ग किलोमीटर (3800 हेक्टेयर) जंगल खत्म हो गए हैं। हर साल जंगल का दायरा 380 हेक्टेयर कम होता जा रहा है। खेती के लिए अतिक्रमण, आगजनी और पेड़ों की अवैध कटाई इसकी बड़ी वजह है। फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से यह चौकाने वाली सच सामने आया है।

अगर तुलना करें, तो 10 साल में जितना जंगल कम हुआ है, उतने में कवर्धा जैसे दो शहर बस सकते हैं। कवर्धा नगर पालिका का कुल क्षेत्रफल 14.20 वर्ग किलोमीटर है। इस जैसे दो शहर आसानी से बसाए जा सकते थे। फिर भी लगभग 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल बच जाता, जाे कि नगर पंचायत सहसपुर के कुल क्षेत्रफल 9.47 वर्ग किलोमीटर के बराबर होता।

सर्वे रिपोर्ट- 2021 के मुताबिक जिले में 38 वर्ग किलोमीटर (3800 हेक्टेयर) जंगल कम हो गया है। साल 2011 में जिले का कुल वनक्षेत्र 1585 वर्ग किलोमीटर (158500 हेक्टेयर) था, जो अब घटकर 1547 वर्ग किलोमीटर यानी 154700 हेक्टेयर हो गया है। सबसे ज्यादा पंडरिया वनक्षेत्र में कमी आई है। क्योंकि यहां के जंगलों में पेड़ों की अवैध कटाई और खेती के लिए वनभूमि पर अतिक्रमण ज्यादा हो रहे हैं।

पट्टा मिला एक हेक्टेयर का कब्जा 20 एकड़ से ज्यादा पर
जिन परिवारों को 1 हेक्टे. भूमि का वनाधिकार पट्टा मिला है, उनमें से कई ने 20 एकड़ या उससे ज्यादा पर कब्जा कर लिया है। वन विभाग के रिकॉर्ड में नागा डबरा बीट क्रमांक- 519, 520, माठपुर बीट- 521, भड़गा बीट- 522 और टकटोईया बीट क्रमांक- 523 में कुल 1244.41 हेक्टेयर वनभूमि है। कुल वनभूमि में 364.397 हेक्टेयर रकबे का वनाधिकार पट्टा 271 ग्रामीणों को दिया गया है। प्रति ग्रामीण 1- 1 हेक्टेयर यानी ढाई एकड़ जमीन होना चाहिए। असल में इससे कहीं ज्यादा पर कब्जा है।

तने को काटकर पेड़ों को सूखने के लिए छोड़ दिया
अतिक्रमण और जलाऊ लकड़ी के नाम पर पेड़ों की अवैध कटाई जारी है। पंडरिया वन परिक्षेत्र, रेंगाखार जंगल एरिया में कई ऐसी जगहें हैं, जहां पेड़ की तनों पर गड़लिंग कर छोड़ दिया गया है। ताकि सूखने पर पेड़ों की कटाई कर इसे बेच सके। पंडरिया के आसपास जंगलाें से रोज सुबह व शाम साइकिल के पीछे कैरियर पर बांधकर लकड़ियाें का गट्ठा ले जाते लोगों को आसानी से देखा जा सकता है।

वन विभाग की ऐसी मुस्तैदी: वर्ष 2018 में लकड़ी चोरी के 1932 केस सामने आए, बीते 4 साल में 100 भी नहीं

पेड़ों की अवैध कटाई और लकड़ी चोरी के मामले में कार्रवाई को लेकर वन विभाग कितना सक्रिय है, ये कार्रवाई के आंकड़े देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होगा। वर्ष 2018 में जिले के सभी 9 वन परिक्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई व लकड़ी चोरी के 1932 मामले पकड़े गए थे। वहीं बीते 4 साल में महज 97 से 100 प्रकरण बने हैं। जबकि अवैध कटाई और लकड़ी चोरी जारी है। इसे रोकने के लिए अमला तो है, लेकिन मुख्यालय में रहकर ड्यूटी नहीं करते हैं।

वनाधिकार दिया गया है तो कमी आएगी ही: डीएफओ
डीएफओ चूड़ामणि सिंह का कहना है कि वनाधिकार दिया गया है तो कमी आएगी ही। जंगल में कहीं भी अतिक्रमण किया जाता है, तो कार्रवाई की जाएगी। मैंने ज्वाइनिंग के साथ ही कड़े निर्देश दिए हैं इस मामले में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जाए। उन्होंने कहा कि सरोदा डैम मार्ग पर वनभूमि पर अतिक्रमण का मामला संज्ञान में है। उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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