कृषि विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़िया कुलपति राज्यपाल ने डॉ. गिरीश चंदेल को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया; नियुक्ति पर था विवाद

राज्यपाल अनुसुईया उइके ने डॉ. गिरीश चंदेल को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को नया कुलपति नियुक्त किया है। डॉ. चंदेल अभी रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में ही प्लांट मॉलिक्यूलर बॉयोलॉजी एंड बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग के अध्यक्ष हैं। विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्ति को लेकर पिछले एक पखवाड़े से विवाद चल रहा था।
डॉ. गिरीश चंदेल, पौध प्रजनन और जैव प्रौद्योगिकी के प्रख्यात वैज्ञानिक हैं। छत्तीसगढ़ के सिमगा, हथबंद के पास कुकरा चुन्दा गांव के मूल निवासी डॉ. चंदेल को कृषि शिक्षा अनुसंधान और विस्तार प्रबंधन का 30 वर्षों का अनुभव है। जिसमें सात वर्षों का अनुभव विशेष रूप से सूखे और पोषण अनुसंधान के लिए अत्याधुनिक स्टेट ऑफ आर्ट बुनियादी सुविधाओं के निर्माण और पोषण प्रबंधन पर रहा है। डॉ. चंदेल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान एवं विकास कार्यों का वृहद अनुभव है। उन्होंने इंटरनेशनल जेनेटिक इंजीनियरिंग और बॉयोटेक्नोलॉजी सेंटर में पीएचडी फेलो और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट में विजिटिंग वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया है। बताया जा रहा है, यह पहला अवसर है जब इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में किसी स्थानीय व्यक्ति को कुलपति बनाया गया है। इस नियुक्ति के प्रबल दावेदारों में डॉ. गिरीश चंदेल के अलावा, डॉ. एस.एस. सेंगर और डॉ. जी.एस. दास का नाम शामिल था।
अभी डॉ. एस.एस. सेंगर संभाल रहे थे जिम्मेदारी
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति रहे डॉ. एसके पाटील का कार्यकाल एक नवम्बर 2021 में पूरा हो गया। उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले ही राज्यपाल अनुसूईया उइके ने डॉ. एस.एस. सेंगर को कार्यवाहक कुलपति नियुक्त कर दिया। उनके नियुक्ति आदेश में ही इसका जिक्र था कि यह नियुक्ति अधिकतम छह महीने के लिए हुई है। 2 नवम्बर 2021 से उन्होंने कुलपति की जिम्मेदारी संभाल ली।
सर्च कमेटी भंग हुई तो शुरू हुआ विवाद
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल का कार्यकाल खत्म होने से पहले ही राज्यपाल ने सर्च कमेटी बना दिया। इसका अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम को बनाया गया। इसमें आनंद मिश्रा और सुब्रत साहू सदस्य के तौर पर शामिल थे। सर्च कमेटी ने चार नामों का पैनल राजभवन भेजा था। बताया जा रहा है, राज्यपाल ने इसे खारिज कर नई सर्च कमेटी का गठन कर दिया। इसका अध्यक्ष पूर्व कुलपति अरविंद भाई पाठक को बनाया गया। उसके बाद विश्वविद्यालय में यह कहा जाने लगा कि राजभवन किसी बाहरी व्यक्ति को कुलपति नियुक्त करने की कोशिश में है। शिक्षकों-वैज्ञानिकों ने प्रदर्शन किया।
सरकार और राजभवन में तकरार बढ़ा था
इस विवाद में सरकार और राजभवन भी शामिल हो गया। कई मंत्रियों और खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्थानीय कुलपति की मांग का समर्थन कर दिया। वहीं राज्यपाल अनुसूईया उइके ने कह दिया कि जो मेरीट के आधार पर आएगा उसमें से कुलपति चुना जाएगा। वह तो कहीं से भी लिया जा सकता है। कुलपति नियुक्त करना उनका संविधानिक अधिकार है और बेहतर को नियुक्त करेंगी। एक दिन पहले राज्यपाल ने कहा था, मामले का पटाक्षेप हो चुका है। जल्दी ही नियुक्ति आदेश जारी हो जाएंगे।