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निजी स्कूलों में पालक नहीं दे रहे वैक्सीन लगवाने की अनुमति औसतन 40% वैक्सीनेशन, सरकारी स्कूलों में दोगुनी रफ्तार

जिले में 15 साल से 18 साल तक के बच्चों को वैक्सीनेशन में खौफ दिखाई देने लगा है। निजी स्कूलों के पालक अपने बच्चों को स्कूल जाने नहीं दे रहे हैं, जिसकी वजह से निजी स्कूलों में वैक्सीनेशन औसतन 40 प्रतिशत बच्चों का ही हो पाया। वहीं सरकारी स्कूलों में छात्रों का वैक्सीनेशन निजी स्कूलों की तुलना में दोगुना है। सरकारी स्कूल के औसतन 80 प्रतिशत बच्चे वैक्सीन लगाने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। मौजूदा हालात की वजह से वैक्सीनेशन का टारगेट लगातर नीचे जा रहा है। वहीं लक्ष्य के मुताबिक वैक्सीनेशन भी नहीं हो पाया। प्रशासन ने प्रतिदिन 50 हजार विद्यार्थियों के वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा है लेकिन स्कूलों की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है, जिसके चलते वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी है।

निजी स्कूलों में बच्चों के पालकों ने किया मना

केस -1: सनसाइन पब्लिक स्कूल दुर्ग में 15 से 18 साल के 253 बच्चों को वैक्सीन लगाने का टारगेट है। इस स्कूल में 124 बच्चों के पालकों ने वैक्सीन लगाने की अनुमति दी। 129 बच्चों के पालकों ने टीका लगवाने से इंकार कर दिया।

केस -2: महावीर जैन विद्यालय दुर्ग में 297 स्टूडेंट्स को वैक्सीन लगाने का टारगेट था। इस स्कूल में 158 बच्चों को ही वैक्सीन लगाया जा सका। बाकी 139 बच्चों को टीके नहीं लगे। इन बच्चों को उनके पालकों ने स्कूल नहीं भेजा।

सरकारी स्कूलों में स्थिति बेहतर लेकिन पूरा नहीं

केस-1 : शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल सुपेला में 282 को टीके लगाने का टारगेट लिया। यहां 222 बच्चे टीके लगाने स्कूल पहुंचे। इस आयु के केवल 60 छात्रों को टीके नहीं लगाए हैं, 20 बच्चे ऐसे हैं, जो टीका लगवा चुके हैं।

केस-2: स्वामी आत्मानंद सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल सेक्टर 6 में 148 बच्चों को वैक्सीन लगाने का टारगेट था। इस स्कूल में 100 फीसदी बच्चे टीका लगाने पहुंचे। सभी विद्यार्थियों को यहां दोपहर 1 बजे तक टीका लगा दिया गया।

टारगेट अचीव करने में आ रही दिक्कत, लक्ष्य के मुताबिक टीकाकरण नहींं

तीन दिन में वैक्सीनेशन टारगेट इस तरह नीचे : स्वास्थ्य विभाग ने 3 जनवरी को स्कूली बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू किया। 3 जनवरी को 81 स्कूलों को केंद्र बनाया और 46987 हजार बच्चों को वैक्सीन लगाना था। लेकिन 29951 छात्र ही पहुंचे। 4 जनवरी को 84 स्कूल के 22 हजार को टीके लगाने थे लेकिन 17 हजार को ही लगा सके।

प्राचार्यों और बच्चों से ये तीन कारण मिले : निजी स्कूलों के प्राचार्यों और बच्चों से बातचीत के बाद पड़ताल में वैक्सीनेशन कम होने की तीन प्रमुख वजह सामने आई है। पहला बच्चों के पालक यह देख रहे हैं कि काफी ज्यादा संख्या में बच्चों को वैक्सीन लग जाए व फिर अपने बच्चों को भी लगावाएगें। भय के कारण टीका नहीं लगवाया।

निजी स्कूलों की संख्या ज्यादा : जिला स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जिले के 411 स्कूलों के 1 लाख 5 हजार 182 बच्चों को वैक्सीन लगाने का टारगेट लिया है। जिसमें सबसे ज्यादा निजी स्कूल 234 हैं। जबकि सरकारी स्कूलों की संख्या 177 हैं। 3 जनवरी से वैक्सीन हो रहा है लेकिन निजी स्कूलों में वैक्सीनेशन की रफ्तार कम है।

अनुमति दें तभी बच्चे होंगे सुरक्षित
निजी स्कूलों में सबसे ज्यादा दिक्कतें आ रही हैं। यहां पालक अपने बच्चों को वैक्सीन लगाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं।

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