वायु प्रदूषण और धूम्रपान से बढ़ रही मरीजों की संख्या, एम्स में 350 से अधिक हो चुके हैं रजिस्टर्ड

फेफड़े की आईएलडी बीमारी में छत्तीसगढ़ तीसरे नंबर पर
तहलका न्यूज रायपुर// लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण और धूम्रपान की आदत के कारण अब फेफड़े की गंभीर बीमारियों में से एक इंटरस्टीशियल लंग डिजिज (आईएलडी) के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसका खुलासा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. अजॉय बेहरा ने आज कर दिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स को पिछले दो साल से फेफड़ा रोग के लिए छत्तीसगढ़ का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया है, इसके चलते राज्य के समस्त सरकारी अस्पतालों के फेफड़े से संबंधित बीमारियों के मरीजों का रजिस्ट्रेशन यहां होता है। डॉ. बेहरा ने बताया कि अभी निजी अस्पतालों में आने वाले मरीजों के आंकड़े भी आ रहे हैं। इन्हीं आंकड़ों के अनुसार पिछले दो साल में ही 350 आईएलडी रोगी पंजीकृत हो चुके हैं। यह संख्या एम्स दिल्ली और पीजीआई चंड़ीगढ़ के बाद देश में तीसरी सबसे अधिक है। प्रतिदिन विभाग की ओपीडी में आने बाले 120 रोगियों में 20 से 30 मरीज गंभीर श्वसन रोगों से ग्रस्त होते हैं। इसे देखते हुए एम्स ने हर बुधवार को स्पेशल क्लीनिक भी शुरू की है। आईएलडी मरीजों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए उनके इलाज के लिए उपलब्ध नई चिकित्सा पद्धति के बारे में विमर्श करने एम्स के पल्मॉनरी विभाग द्वारा पल्मॉनरी मेडिसिन अपडेट्स-2024 सिम्पोजियम का आयोजन किया। इसमें देश के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। इसमें मुख्य वक्ता डॉ. विजय हाडा एम्स दिल्ली, डॉ. सहजल धुरिया, पीजीआई चंडीगढ़ और डॉ. पीआर मोहापात्रा एम्स भुवनेश्वर ने आईएलडी के रोगियों की बढ़ती संख्या को चुनौतीपूर्ण कहा। उन्होंने इसके प्रारंभिक लक्षणों और उपचार की नवीन पद्धतियों के बारे में चिकित्सकों को महत्वपूर्ण जानकारी दी। सिम्पोजियम का उद्घाटन करते हुए एम्स के सीईओ म व डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल ब अशोक जिंदल (रिटा.) ने कहा कि दे पोस्ट कोविड लक्षणों की वजह से 3 पल्मोनरी के रोगियों की संख्या बढ़ शि रही है। एम्स में इनके लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
छाती और फेफड़े में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती
डॉ. बेहरा ने बताया कि आईएलडी में छाती और फेफड़े में मौजूद एयर कैपिलरी ठीक से काम नहीं कर पाती, जिससे ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है। इसके लक्षण में सूखी खांसी, छाती में हल्का दर्द, अत्याधिक थकावट और कमजोरी, सांस में दिक्कत या हांफना प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि इसके कारण फेफड़ों की सूजन जानलेवा तक साबित होती है, क्योंकि इसके लक्षणों को नजरअंदाज किया जाता है। फेफड़े के वायुमार्ग में जब सूजन आने लगती है तो ब्रोन्कियल अस्थमा का खतरा बढ़ता है। इससे वायुमार्ग पतला होता जाता है और लंग्स में बलगम ज्यादा बनने लगता है।