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अरुण वोरा पर धीरज बाक़लीवाल पड़े भारी, लिया कई कांग्रेसियों का बदला…..

तहलका न्यूज दुर्ग// कांग्रेस में बदले की राजनीति अब खुलेआम देखने को मिल रही है, एक समय ऐसा था जब दुर्ग कांग्रेस में जो भी वोरा बंगले के खिलाफ जाता उसका राजनीतिक कैरियर लगभग खत्म माना जाता है, दुर्ग कांग्रेस के ऐसे कई नेता हैं जो आगे बढ़ने की चाह में या तो शहर ही छोड़ दिए या फिर राजनीति ही खत्म हो गई। दीपक दुबे, अयूब खान, इरफान खान,प्रताप मध्यानी,राजकुमार नारायणी, मदन जैन जैसे कई कांग्रेसी ने कभी भी वोरा बंगले के खिलाफ जाकर कांग्रेस को मजबूत करने की सोची, आज उनकी राजनीतिक स्थिति क्या है, यह सभी को मालूम है, परंतु इन सब के बीच में एक ऐसा कांग्रेसी सामने आ गया जिसने वोरा बंगले को आइना दिखा दिया, लगभग तीन दशक तक साथ रहे वोरा बंगले के खासम खास धीरज बाक़लीवाल वर्तमान समय में एक अलग ही रणनीति के तहत कार्य कर रहे हैं, उनकी राजनीतिक सोच से दुर्ग के कांग्रेसी सहित भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने भी चर्चा का केंद्र बिंदु बन गए, आज अपने आप को स्थापित करने के लिए धीरज बाक़लीवाल ने वोरा बंगले के खास आयुष शर्मा को अपने पाले में कर लिया कुछ मंडल अध्यक्ष भी अब धीरज बाक़लीवाल के साथ नजर आते हैं, कई कांग्रेसी पार्षद अब वोरा बंगले जाना पसंद नहीं करते और धीरज बाकलीवाल के उसे बंगले पर हाजिरी लगा रहे हैं जो अब दुर्ग में कांग्रेस का नया केंद्र बिंदु बनता जा रहा है।
  धीरज बाकलीवाल अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए हर उसे नीति के तहत काम कर रहे हैं जो उन्हें भविष्य में स्थापित कर सके ऐसी भी चर्चा है कि वर्तमान महापौर चुनाव के समय महापौर प्रत्याशी के लिए परदे के पीछे का पूरा खेल पूर्व महापौर धीरज बाक़लीवाल के द्वारा ही खेला जा रहा है, हालांकि जिस वोरा बंगले पर सभी कांग्रेसी आते थे आज इस वोरा बंगले के प्रमुख अरुण वोरा अब जगह-जगह घूम कर अपनी राजनीतिक भविष्य को पुन स्थापित करने की कोशिश जरूर कर रहे हैं, पर टिकट वितरण के बाद जिस तरह से अरुण वोरा का विरोध हुआ वह किसी से छुपा नहीं वही टिकट वितरण में कांग्रेस की जगह जगह छवि को धूमिल करने का सारा दोष अब अरुण वोरा पर ही लग रहा है, वार्ड नंबर 21 से जिस कांग्रेस प्रत्याशी ने नाम वापस लिया और कांग्रेस चुनाव के पहले ही मैदान से हटी उसमें अरुण वोरा का बड़ा हाथ माना जा रहा है, मदन जैन को वार्ड नंबर 39 में लड़ाने की बात कहने के बाद उन्हें पीछे हटने के लिए जो राजनीति अपनाई उसे एक बार फिर मदन जैन आहत हुए वार्ड नंबर 42 से प्रकाश गीते की टिकट काट अपने समर्थक को दूर कर दिया वार्ड नंबर 45 में संबंधों को महत्व देते हुए, राजेश शर्मा को टिकट देकर वोरा ने अपनी राजनीतिक छवि को अपनों के बीच ही धूमिल कर दिया।
    संगठन को कमजोर नेतृत्व प्रदान करने की जिम्मेदारी भी अरुण वोरा के ऊपर दुर्ग के कांग्रेसी लग रहे हैं, भेदभाव और झूठ बोल कांग्रेसियों को इस्तेमाल करने की बातें भी लगातार सामने आती रहती हैं, अब ऐसी राजनीतिक चर्चा है कि अरुण वोरा यह नहीं चाहते कि महापौर चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हो ऐसी चर्चा है कि उनकी हार भी 48000 से ज्यादा मतों से हो ताकि सबसे कम वोट से हारने वाले नेता के रूप में और लोकप्रिय कांग्रेसी के रूप में वोरा का ही नाम संगठन में सामने आए.
    आश्चर्य की बात यह है कि इतनी दुर्गति के बाद भी प्रदेश कांग्रेस के नेता दुर्ग कांग्रेस को और उनके समर्पित कार्यकर्ताओं को दरकिनार करते हुए, आज भी ऐसे पूर्व विधायक की बातों का समर्थन करते हैं जिन्हें शहर की जनता तो क्या कांग्रेसी भी कन्नी काट रहे हैं, आखिर कब तक कांग्रेस को जग हँसाई का कारण बनाते रहेंगे, प्रदेश कांग्रेस संगठन और प्रदेश के बड़े नेता?
   आज पूर्व महापौर धीरज बाक़लीवाल ने जिस तरह से अपनी आवाज बुलंद की इस बुलंद आवाज को कई कांग्रेसी हवा तो दे ही रहे हैं, और यह उम्मीद कर रहे हैं कि अब तो प्रदेश कांग्रेस संगठन दुर्ग कांग्रेस की स्थिति पर गंभीरता से विचार करें, देखना या होगा कि कांग्रेस के इन नेताओं की आपसी जंग में महापौर चुनाव पर कितना अनुकूल/ प्रतिकूल असर डालता है, परंतु वर्तमान हालात में तो पूर्व महापौर अपने राजनीतिक अनुभवों का पूरा निचोड़ निकालना चाहते हैं और हर क्षेत्र में अपने आप को सर्व सर्वा स्थापित करने में लगे हुए हैं, कौन इस जंग में जीतता है यह 15 फरवरी को स्पष्ट हो जाएगा जिसका इंतजार शहर की जनता से ज्यादा कांग्रेसियों को है…..

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