लोगों को रिझाने में प्रकृति भी माहिर, जानिए अपनी खूबसूरत अदाएं बिखेरने वाली लोहण्डीगुड़ा की बिन्ता घाटी के बारे में।
तहलका न्यूज जगदलपुर// चित्रकोट के लोहंडीगुड़ा की बिंता घाटी अत्यंत सुंदर व मनोरम दृश्य वाली है, यहां पहुंचने वाले सैलानियों को रिझाने में बिंता घाटी पूरी तरह से सक्षम है, मानो जैसे कोई खूबसूरत अदाकारा हो। बिन्ता घाटी, इंद्रावती नदी जिस गहरी घाटी में गिरती है, वही से शुरू हो जाती है। इस घाटी का सौदर्य इतना जबरदस्त है कि यहां आने वाले हर सैलानी को सम्मोहित करता है। बिन्ता घाटी इको फ्रेंडली टूरिज्म के हिसाब से बेहतर है। चारों तरफ पहाड़ियों में घिरी बिन्ता घाटी अपनी गोद में खूबसूरती बिखेरने के साथ धान की भरपूर फसल भी उपजाती है। यहां की 9 पंचायत की 26 बस्तियों में बसे ग्रामीण अपनी परंपरागत और संस्कृति को बखूबी सहेजे हुए हैं। जानकारों का कहना है कि यहां इंद्रावती में 22 करोड़ रुपए की लागत से बना रहे उच्च स्तरीय पुल के बाद यह घाटी बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में उबरेगा।
संभागीय मुख्यालय में लगभग 70 किमी दूर बिन्ता घाटी है। चित्रकूट से बारसूर मार्ग पर मारडूम से आगे दाहिनी तरफ बिन्ता के लिए पक्की सड़क है। 12 किमी घाटी उतर कर यहां पहुंचा जा सकता है। पहाडियों से घिरी घाटी को देखने दूर दूर से सैलानी यहां पहुंचते हैं। यहां इंद्रावती किनारे बसा कोरली ग्राम इस बात का प्रमाण भी है। बिंता घाटी दण्डकारण्य पठार की महत्वपूर्ण घाटी है। करीब 700 साल पहले पापड़ाहांडीओडिशा के अरण्यक ब्राम्हणों को यहां बसाया गया था। घाटी में इंद्रावती किनारे करेकोट बिन्ता, भेजा, सतसपुर, रायगोंदी, चंदेला, पालम, बदरंगा, पुमपाल पंचायते हैं। इन 9 पंचायतों की आबादी 10 हजार से अधिक है। कृषि यहाँ की मुख्य आधार है। यहाँ धान की विपुल उत्पादन होता है। जिला प्रशासन ने मारडूम से घाटी तक 10 कि.मी. लंबी लाईन बिछाकर पंचायतों तक बिजली पहुंचाई है। शीतकाल में घाटी कोहरे से ढंकी रहती है। सूर्यदेव के दर्शन आमतौर पर सुबह 10 बजे के आसपास होते हैं। वनांचल और ग्राम दर्शन की इच्छा रखने वाले पर्यटकों के लिए यह घाटी इको टूरिज्म की तरह है। इंद्रावती में नौकायान और वहाँ की नैसर्गिक सुंदरता को निहारना सुखद है।