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दुकानों को बेचने के लिए टेंडर जारी:कांजीहाउस की 55 दुकानों का आठवीं, मंगलम की 9 शाॅप का 13वीं बार टेंडर, बिकती ही नहीं

राजधानी के मुख्य बाजारों में बनी दुकानों को खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं। निगम के कठिन शर्तों और दुकानों की कीमत कुछ ज्यादा होने की वजह से व्यापारियों के साथ ही आम लोगों ने भी इसकी खरीदी से हाथ उठा लिए हैं। निगम की 9 बाजारों में अभी 104 दुकानें खाली हैं। इन दुकानों को बने 1 से पांच साल तक हो गए हैं, लेकिन अभी तक इन दुकानों को दुकानदारों का इंतजार है। लगातार कोशिशों के बाद भी दुकानें नहीं बिकी तो निगम ने एक बार फिर इन दुकानों को बेचने के लिए टेंडर जारी किया है।

जवाहर बाजार की 147 दुकानें नवंबर 2020 में बनकर तैयार हो गई थी। इसमें 47 पुराने दुकानदारों को दुकानें बांटने के बाद भी निगम के पास दुकानें और ऑफिस बाकी हैं। बाजार के दूसरे और तीसरे तल में कमर्शियल उपयोग के लिए आठ-आठ ऑफिस के साथ ही हर फ्लोर में दुकान उपलब्ध है। जवाहर बाजार की दुकानों की लीज और कीमत को लेकर व्यापारियों और निगम में जबर्दस्त विवाद है। यही वजह है कि बाजार की 16 दुकानें बेचने के लिए सातवीं बार टेंडर जारी किया गया है।

इस बार भी नियमों में ढील नहीं दी गई है, इस वजह से इन दुकानों को खरीदार मिलना बेहद मुश्किल है। इसी तरह महोबाबाजार की 14 दुकानों के लिए 13वीं बार टेंडर जारी किया गया है। व्यापारियों की माने तो इस बाजार की हालत बेहद खराब है। निगम को दुकानें बेचने के बजाय पहले इस बाजार को संवारने का काम करना चाहिए। इसके बाद ही वहां की दुकानें बिक सकेंगी।

इसलिए : दुकानें लीज वाली, बड़ी और महंगी, कुछ की डिमांड नहीं

  • सभी दुकानों को 30 साल के पट्टे पर देना है।
  • खरीदकर मालिक बने, तो भी किराया देना है।
  • 15 साल के बाद 25 प्रतिशत किराया बढ़ेगा।
  • दुकानों की साइज बड़ी, इसलिए रेट ज्यादा।
  • कई वर्गों के लिए आरक्षण, पात्र नहीं मिल रहे।
  • कई जगहों पर बाजार और दुकान दोनों जर्जर।
  • दुकान आसानी से किसी को बेच नहीं सकते।

मंगलम में तो किसी की रुचि नहीं
चौंकाने वाली बात है कि समता कॉलोनी की मुख्य सड़क पर अग्रसेन चौक के पास बने अग्रसेन मंगलम कांप्लेक्स की दुकानें सालों बाद भी नहीं बिक रही है। यहां की 9 दुकानों को बेचने के लिए 13वीं बार टेंडर जारी किया गया है। इसी तरह सुभाष स्टेडियम की भी दुकानों को खरीदने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। यहां की 5 दुकानों को बेचने के लिए 10वीं बार टेंडर जारी किया गया है।

यहां पहले से मौजूद व्यापारियों का कहना है कि दुकानों का साइज बड़ा कर उसे महंगा कर दिया गया है। इस वजह से दुकानें नहीं बिक रही है। स्टेडियम में छोटी दुकानें ज्यादा बनानी थी। इससे कीमत कम होती और खरीदार भी मिलते। अभी सबसे ज्यादा गांधी मैदान कांजी हाउस की 55 दुकानें खाली हैं। इन दुकानों के लिए आठवीं बार टेंडर जारी किया गया है।

कोरोना और लॉकडाउन की वजह से बाजार की स्थिति खराब थी। इस वजह से दुकानें नहीं बिकी। अभी स्थिति सामान्य और पहले से बेहतर है, नियमों में कुछ ढील भी दी है। इसलिए एक साथ दुकानें बेचने के लिए टेंडर निकाला है। – एजाज ढेबर, महापौर रायपुर

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