बिजली की दर बढाने की मांग पर जनसुनवाई मे विरोध
रायपुर|बिजली की दरें बढ़ने की आशंका को ध्यान में रखकर गुरुवार को किसान व कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई में बिजली कंपनी के प्रस्ताव का विरोध किया। जनसुनवाई के पहले दिन घरेलू, गैर घरेलू, कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों के प्रतिनिधि पहुंचे थे। सभी ने अपना पक्ष रखा और कीमत बढ़ाने के बजाय वर्तमान टैरिफ में भी राहत देने की मांग की। दोनों पक्षों से मिले फीडबैक के आधार पर आयोग टैरिफ तय करेगा। हालांकि इस बार भी घरेलू व कृषि उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद है।
छत्तीसगढ़ बिजली नियामक आयोग के सामने बिजली कंपनियों ने कीमत बढ़ाने के लिए याचिका लगाई है। इसके मुताबिक वर्तमान में जारी सत्र में कंपनी ने 3 हजार 642 करोड़ रुपए लाभ का अनुमान लगाया है। पिछले वित्तीय वर्षों में हुए 4 हजार 388 करोड़ रुपए के नुकसान की भरपाई के लिए 745 करोड़ के अतिरिक्त राजस्व की जरूरत बताई है। कंपनियों ने नए पूंजी निवेश का प्रस्ताव भी दिया है।
याचिका में कहा गया है कि बिजली जनरेशन, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां के सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम होने हैं। इसके लिए अतिरिक्त राशि की जरूरत होगी। इन तर्कों के आधार पर ही कंपनियों ने सभी श्रेणियों में बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जिससे वे अपनी जरूरतों को पूरी कर सकें। राजधानी के साथ-साथ दुर्ग, सरायपाली आदि के किसान संगठन, जनप्रतिनिधि व सामाजिक संगठन से जुड़े लोगों ने ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों माध्यम से अपना पक्ष रखा है। कई लोगों ने कहा, बिजली कंपनी जिस घाटे की बात कर रही है, वह कुप्रबंधन है। इसका दबाव उपभोक्ताओं पर नहीं डालना चाहिए।
चालू टैरिफ में भी लाभ में कंपनी, फिर क्यों बढ़े
जनसुनवाई में पहुंचे छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के अध्यक्ष राजकुमार गुप्त ने कहा कि जिस घाटे का हवाला दिया जा रहा है, वह पिछले सालों का है। चालू वर्ष में वर्तमान टैरिफ से ही कंपनी को 3 हजार करोड़ से अधिक का लाभ हो रहा है। यदि वर्तमान टैरिफ को ही अगले साल भी लागू रखा जाए, तब घाटे को पूरा करने के बाद भी कंपनी 2500 करोड़ के लाभ की स्थिति में रहेगी। उन्होंने कहा, ऐसी स्थिति में कंपनी के बिजली टैरिफ बढ़ाने के प्रस्ताव को नहीं माना जाना चाहिए।
कंपनी पर घाटा घटाने में गंभीर नहीं रहने का आरोप
राजकुमार गुप्त ने कहा, आंध्र प्रदेश में लाइन लॉस 10% है, जबकि छत्तीसगढ़ में 18% है। कंपनी ने एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें लाइन लॉस 15% के नीचे रखने की बात कही गई है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कंपनी जरा भी गंभीर नहीं है। कंपनी सरकारी विभागों से बिजली का बकाया वसूलने में भी नाकाम है। नगरीय निकायों पर ही 350 करोड़ रुपए से अधिक का बिल बाकी है। राज्य के सभी सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के विभागों का बकाया जोड़ने पर लगभग 800 करोड़ रुपए वसूल कर कंपनी अपने घाटे की पूर्ति कर सकती है।
सभी पक्षों के परीक्षण के बाद होगा फैसला
राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष हेमंत वर्मा ने बताया, बिजली कंपनियों के प्रस्ताव पर पहले दिन घरेलू, गैर घरेलू, कृषि आदि क्षेत्र के उपभोक्ताओं ने अपना पक्ष रखा। दूसरे दिन उच्च दाब उपभोक्ता व निकायों की ओर से दलीलें रखी जाएंगी। उनका परीक्षण किया जाएगा। आयोग की कोशिश रहेगी कि किसी भी श्रेणी के उपभोक्ता पर अतिरिक्त भार न पड़े। साथ ही कंपनियों का काम भी बेहतर ढंग से चले। लाइन लॉस कम करने, बकाया वसूली, बिलिंग सिस्टम को मजबूत बनाने आदि तथ्यों पर गौर करने के बाद समय पर नया टैरिफ जारी किया जाएगा।