राज्य सरकार के तुगलकी फरमान से अन्नदाताओं का हाल बेहाल: जितेंद वर्मा
छत्तीसगढ़ भाजपा विधायक दल के स्थायी सचिव जितेंद वर्मा ने कहा है कि भूपेश बघेल की सरकार ने देर से धान खरीदी चालू की जिसका नतीजा यह है कि दुर्ग जिले के 15 लाख क्विंटल धान अभी भी किसानों के खलियानों में पड़े हैं। मौसम के बदलते तेवर ने किसानों की चिंता फिर बढ़ा दी है।जिले में किसानों के खलियानों में अभी जो 15 लाख क्विंटल धान पड़े हुए हैं जिन्हें किसान नही बेच पाए हैं वे बेमौसम बारिश से अंकुरित होने लगे हैं। जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें स्पस्ट दिख रही है।शासकीय संग्रहण एवं उपार्जन केंद्रों में भी 22 लाख क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे रखे हुए हैं। श्री वर्मा ने भूपेश बघेल सरकार पर आक्रोश जताते हुए कहा कि पिछले सप्ताह हुई बारिश से हुए नुकसान का सर्वे रिपोर्ट अब तक नहीं आया है। बारिश से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा था। फसलों को हुई क्षति का आंकलन के लिए सर्वे करने के निर्देश दिए गए है विडम्बना यह है कि अब तक फसलों को हुए नुकसान का रिपोर्ट प्राप्त नही हुआ है। वही दूसरी तरफ अब पुनः बारिश की स्तिथि बन रही है जिसे लेकर किसान बेहद चिंतित हैं। श्री वर्मा ने कहा कि पिछली बार हुई बारिश में उपार्जन केंद्रों के अलावा किसानों के खलिहानों में रखे धान सहित उनके द्वारा रबी फसल के लिए डाले गए बीज को भी भारी नुकसान हुआ था।बीज खराब होने के बाद किसानों ने पुनः बोनी किए है।मौसम विभाग द्वारा आने वाले दिनों में बारिश की संम्भावना व्यक्त की गई है जो सही प्रतीत हो रहा है। जिले में पिछले दो दिनों से आसमान में बादल छाए हुए हैं पुनः बारिश होने पर किसानों द्वारा बोए गए बीज को क्षति पहुंचाने की पूरी संम्भावना है। वही इससे फिर धान खरीदी प्रभावित होने की सम्भावना बढ़ गई है। श्री वर्मा ने आगे कहा कि पिछली बार बारिश होने के कारण कई उपार्जन केंद्रों में में लगभग सप्ताह भर धान खरीदी प्रभावित रहा। इससे प्रभावित किसान उपार्जन केंद्रों के माध्यम से समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचने की बाट जोह रहे हैं जो अभी भी दुविधा की स्तिथि में है। श्री वर्मा ने आगे कहा कि किसानों की दुर्गति के लिए भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेसी सरकार है जो अपने तुगलकी फरमान के लिए फेमस है। आज जिले में किसानों के जो हालात है उसके लिए राज्य सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। भाजपा द्वारा यह बार बार मांग की गई थी कि धान खरीदी 1 नवम्बर से प्रारम्भ किया जाए लेकिन सरकार के कानों में जूं नही रेंगी परिणाम सबके सामने है। किसान रूपी अन्नदाता परेशान हैं। किसानों की माली हालत खराब हो गई है।