कबीरधाम जिलाछत्तीसगढ़

सावन में विशेष श्रद्धा: पंच कैलाशी पंडित राजेश शुक्ला ने किया भोरमदेव में दुर्लभ तीर्थों के जल से शिवलिंग का अभिषेक

कवर्धा, छत्तीसगढ़। सावन के पवित्र मास में जब संपूर्ण भारत शिव भक्ति में लीन है, ऐसे समय में छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक शिवधाम भोरमदेव में एक अद्वितीय धार्मिक आयोजन संपन्न हुआ। ब्राह्मण महासभा संपूर्ण भारत के कबीरधाम जिला अध्यक्ष पंच कैलाशी पंडित राजेश शुक्ला ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर विश्व के विभिन्न तीर्थों से लाए गए पवित्र जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया।

इस विशेष अभिषेक अनुष्ठान में कैलाश मानसरोवर, पाकिस्तान स्थित प्राचीन श्री कटासराज मंदिर का अमर कुंड, राजस्थान के पुष्कर तीर्थ, हरिद्वार का गंगाजल, आदि कैलाश स्थित गौरीकुंड एवं पार्वती सरोवर, चित्रकूट की मंदाकिनी नदी, अयोध्या की सरयू नदी, तथा अमरकंटक से लायी गई नर्मदा नदी के पवित्र जल को शामिल किया गया। इन सभी जलों को एकत्र कर भोरमदेव स्थित शिवलिंग एवं बूढ़ा महादेव में विधिवत मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक किया गया।

मेकल पर्वत की गोद में बसा ऐतिहासिक मंदिर

पंडित शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि मेकल पर्वत श्रृंखला में स्थित यह मंदिर नागवंशी राजाओं द्वारा निर्मित है, जो छत्तीसगढ़ का ‘खजुराहो’ कहलाता है। यह मंदिर अपने भव्य स्थापत्य, ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। सावन मास में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक व पूजा-अर्चना हेतु पहुंचते हैं।

उन्होंने बताया कि सावन मास हिन्दू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है और भगवान शिव को जल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेषकर जब जल कैलाश, गंगा, मंदाकिनी, नर्मदा और सरयू जैसे दिव्य स्थलों से लाया गया हो, तब इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

धार्मिक वातावरण और भक्तों का उत्साह

जलाभिषेक कार्यक्रम में पंडित आशीष पाठक, पंडित संतोष दुबे, दुर्गेश पांडे, दीपक पांडे, मनोज, धर्मेंद्र सिंह, शिव कुमार, भुनेश निर्मलकर, अर्जुन चंद्रवंशी, छवि चंद्राकर, भरत सिंह राजपूत, विष्णु केसरी, राजेश श्रीवास, पंकज द्विवेदी, ओपी चंद्राकर, पवन शर्मा, दिनेश पांडे और ओम प्रकाश शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। पूरे मंदिर परिसर में हर हर महादेव और बोल बम के गगनभेदी नारे गूंजते रहे।

कीर्तन, सत्संग और शिवपुराण की गूंज

भोरमदेव मंदिर सहित जिले भर के मंदिरों में सावन के अवसर पर शिवपुराण कथा, सत्संग, भजन-कीर्तन, रुद्राभिषेक और अन्य धार्मिक आयोजनों की धूम मची हुई है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते मंदिर प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन द्वारा व्यवस्थाएं सुदृढ़ की गई हैं।

पंच कैलाशी परंपरा का निर्वाह

पंच कैलाशी पंडित राजेश शुक्ला ने बताया कि उन्होंने पंच कैलाशी यात्रा कर पांचों प्रमुख कैलाशों – कैलाश मानसरोवर, आदि कैलाश, किन्नर कैलाश, श्रवण कैलाश और श्वेत कैलाश – के दर्शन किए हैं। यह परंपरा उनके आध्यात्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने बताया कि इस बार का जलाभिषेक पंच कैलाशी श्रद्धा और छत्तीसगढ़ की परंपरागत आस्था को एकजुट करने का प्रयास है।

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