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प्रशासन में जवाबदेही, पारदर्शिता के माध्यम से जनता में खुशहाली लाना है

सुशासन स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है कि शासन-प्रशासन द्वारा सुशासन के मूलभूत सिद्धांतों को अपनाया जाये यथा निष्पक्ष चुनाव व्यवस्था, जवाबदेही, पारदर्शिता एवं खुलापन, सत्ता का विकेंद्रीकरण तथा जनता का प्रतिनिधित्व, सुद्रढ़ वित्तीय प्रबंधन, विधि का शासन, मानवाधिकार संरक्षण, परिवर्तन की स्वीकारोक्ति आदि। ये सभी कार्य प्रशासन द्वारा ईमानदारी से किये जाते हैं, तो जनता में खुशहाली, मानसिक शांति व विश्वास की स्थापना होगी और एक सुरक्षा का भावना जागृत होगी। अगर हम सुशासन की इन विशेषताओं को संक्षेप में व्यक्त करें तो कहेंगे कि सुद्रढ़ कानून व्यवस्था, बेहतर बुनियादी सुविधाएं और सेवाएं, कारोबार और रोजगार के अच्छे अवसर, कथनी और करनी में समानता, नागरिक सुरक्षा एवं संरक्षा आदि ही सुशासन है। सुशासन तभी संभव है जब राष्ट्र, सरकार, समाज, संस्था व संविधान के प्रति हम सभी ईमानदार हो। सुशासन के लिए प्रशासन को चाक-चौबंद, त्वरित कार्य, मानवीय दृष्टिकोण तथा संवेदनशील होना चाहिए। सुशासन नागरिक केंद्रित व्यवस्था है। इसमें जनहित की भावना हो, सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की संकल्पना हो, ऐसी व्यवस्था ही सुशासन है अर्थात् शासन कम तथा लोकहित ज्यादा है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि हमारी सरकार लगातार सुशासन की स्थापना की दिशा में काम कर रही है। इस सुशासन तिहार 2025 के माध्यम से हम जनता की समस्याओं का समाधान, समयबद्ध तरीके से करेंगे और शासन की योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा है कि सरकारी संस्थान की जवाबदेही, पारदर्शिता एवं खुलापन सरकारी संस्थाओं की जवाबदेही, पारदर्शिता एवं खुलापन, सुशासन के लिए यह आवश्यक है। इसका अर्थ है कि मीडिया पर अनावश्यक नियंत्रण ना हो और सभी आवश्यक सूचनाएं जनता को सुलभ हो सके। इसको कार्य रूप में परिणित करने के लिए कई कदम उठाए गए। जनता को सूचना का अधिकार (राइट टू इनफार्मेशन) प्रदान किया गया। 2005 में भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया और वह था जनता को सरकार से जानकारी लेने का अधिकार दिया गया। इस अधिनियम से नागरिकों को जो सूचनाएं प्राप्त करना चाहते हैं, वे सरकार से प्राप्त कर सकें, इससे सरकार जनता की आवश्यकताओं के प्रति जवाबदेह भी बनी रहेगी। ई- गवर्नेंस सुशासन की प्राप्ति की दिशा में एक ओर अच्छी एवं सकारात्मक पहल है। इसके द्वारा इस संचार प्रौद्योगिकी के युग में बेहतर कार्यक्रम एवं सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं और दुनिया भर में होने वाले सामाजिक व आर्थिक परिवर्तनों के नए अवसर उपलब्ध होते हैं।

सुशासन तिहार-2025 का पहला चरण 08 से 11 अप्रैल 2025 तक चलेगा। सुशासन तिहार का पहला चरण “आवेदन संग्रहण”का है, इसमें ग्राम पंचायत मुख्यालयों, नगरीय निकाय कार्यालयों, हाट-बाजारों और कॉमन सर्विस सेंटरों पर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक जनसामान्य से आवेदन प्राप्त किए जाएंगे। प्रत्येक स्थल पर समाधान पेटियाँ लगाई जाएंगी, ताकि नागरिक बिना संकोच अपनी समस्याएँ लिखकर उसमें डाल सकें। ऑनलाइन आवेदन की भी व्यवस्था की जाएगी और आवेदनकर्ताओं को पावती दी जाएगी। अधिकारियों को समय सीमा के भीतर इनका समाधान सुनिश्चित करना होगा। आवेदन के निराकरण की गुणवत्ता की समीक्षा राज्य और जिला स्तर पर की जाएगी।

समाधान शिविरों का आयोजन 05 मई से 31 मई 2025 तक किया जाएगा। इन शिविरों में आवेदकों को उनके आवेदनों की स्थिति के बारे में जानकारी दी जाएगी और जहां संभव होगा, वहीं समस्याओं का तत्काल समाधान किया जाएगा। सुशासन तिहार में स्थानीय सांसदों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। वे तिहार के प्रत्येक चरण में शामिल होंगे और जनता से सीधे संवाद करेंगे। मुख्यमंत्री और राज्य के अधिकारी प्रदेश में चल रहे विकास कार्यों का औचक निरीक्षण करेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से हो रहा है और लोगों को उनका लाभ मिल रहा है।

समानता, सामाजिक समावेशन एवं मानवाधिकार संरक्षण :- छत्तीसगढ सरकार सुशासन के द्वारा एक समता मूलक समाज की स्थापना करना चाहती है। सुशासन द्वारा व्यक्ति अपने जीवन स्तर में सुधार कर सकता है और उसे उत्कृष्ट भी बना सकता है। सरकार की नीतियां इस तरह बनी है कि समाज के सभी वर्गों में सामंजस्य स्थापित हो। सरकार द्वारा मानवाधिकार संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

क्षमता, योग्यता एवं प्रभावशालिता :- छत्तीसगढ की विष्णु देव साय की सरकार द्वारा विभिन्न संस्थानों के माध्यमों से नागरिक क्षमता, योग्यता एवं प्रभावशालिता का उपयोग कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति न्याय संगत तरीके से करने में सक्षम हो सके तथा राज्य शासन की योजनाओं और संसाधनों का प्रभावी रूप से उपयोग किया जाए ताकि अधिकतम जनता को लाभान्वित किया जाना सुनिश्चित किया जा सके और शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रभावशाली क्रियान्वयन हो सके ।

सामचार कि विस्तृत जानकारी धनंजय राठौर संयुक्त संचालक, जनसंपर्क रायपुर द्वारा जारी किया गया है.

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