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Kawardha: आखिर क्यों ईच्छा मृत्यु की मांग की.. मिलन यादव और उसके परिवार, कलेक्टर कार्यालय पहुंचे अपनी गुहार लगाने.. जानिए पूरा मामला…

तहसीलदार हुलेशवर पटेल और पटवारी निर्मल साहू के आतंक से सदमे में यादव परिवार

सराफा व्यापारी विनय बोथरा पिता राजू बोथरा के पैसे के दम पर नाच रहा है तहसीलदार और पटवारी.. मानसिक रूप से प्रताड़ित मिलन यादव ने लगाया आरोप

मिलन यादव के उपर कोई भी घटना घटित होती है तो पूरी जिम्मेदारी सराफा व्यापारी एवं तहसीलदार तथा पटवारी के ऊपर होगी

सराफा व्यापारी विनय बोथरा पिता राजू बोथरा के पैसे के दम पर नाच रहा है तहसीलदार और पटवारी.. मानसिक रूप से प्रताड़ित मिलन यादव ने लगाया आरोप

मिलन यादव के उपर कोई भी घटना घटित होती है तो पूरी जिम्मेदारी सराफा व्यापारी एवं तहसीलदार तथा पटवारी के ऊपर होगी

कवर्धा , जिला मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर पर स्थिति दुल्लापुर सोनपुरी (रानीसागर) में एक यादव परिवार कई पीढ़ियों से निवासरत है। मिलन यादव अपने गांव दुल्लापुर में आपसी प्रेम से रहता है। दुल्लापुर सोनपुरी (रानीसागर) नेशनल हाइवे से नहर नाली निकला है । जिससे ग्रामीणों का निस्तारी करने में सुविधा होता है । दुल्लापुर निवासी मिलन यादव का जमीन भी नेशनल हाइवे से लगा हुआ है और उसके पीछे भाग में कवर्धा के सराफा व्यापारी विनय बोथरा राजू बोथरा परिवार रसूखदार का भी जमीन लगा हुआ है जिनके इशारे पर मिलन यादव को तहसीदार व पटवारी हमेशा प्रताड़ित करता है जिससे यादव परिवार सदमे में हैं। हाल ही में कवर्धा के समीप ही 22 जनवरी को एक गो सेवक साध राम यादव की निर्मम हत्या हुई थी जिसकी चिंगारी बुझी नही है और दूसरी तरफ दुल्लापुर सोनपुरी (रानी) में पुनः यादव परिवार तहसीलदार के प्रताड़ना से भयभीत हैं।

लगातार प्रताड़ना का शिकार हो रहा है मिलन यादव

यादव परिवार को गांवो में गो पालक और गो सेवक के रूप में मानते है । मिलन यादव का परिवार भी इसी श्रेणी में आता है । कवर्धा नगर के जाने माने रसूखदार, धनाढ्य सेठ विनय पिता राजू बोथरा का जमीन मिलन यादव के खेत के पीछे है । बोथरा परिवार रसूखदार और ऊंचे पहुंच वाले परिवार में आता है । बोथरा के इशारे पर मिलन यादव को लगातार पटवारी व तहसीलदार परेशान कर रहा है लेकिन ग्रामीणों का संरक्षण मिलन यादव को है जिसके चलते कवर्धा तहसील कार्यालय में जो भी तहसीलदार पदस्थ होता हो हमेशा उसे कार्यालय बुलाकर प्रताड़ित करता है। पटवारी को भेजकर हमेशा उसके जमीन को नाप किया जाता है ऐसा करते ये तीसरा तहसीलदार हो गया।

मिलन यादव के पिता और मिलन यादव इस जमीन पर लगभग 50 वर्षों से काबिज है।

राजस्व रिकॉर्ड के हिसाब से आपको बता दें की मिलन यादव के पिता और स्वयं मिलन यादव इस जमीन पर रजिस्ट्री कराकर लगभग 50 वर्षों से जमीन पर काबिज है बीच में नहर नाली के नाम पर सिंचाई विभाग में नहर के लिए जमीनों को भू-अर्जन किया गया था लेकिन उसका किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं किया गया केवल कागजों में ही सिंचाई विभाग ने भी इस रोड के सारे किसानों के सामने की जमीनों को भू- अर्जन दर्शा दिया है अब सवाल उठता है कि जिस परिवार का इस जमीन पर 50 वर्षों से काबिज है ऐसे में इनके ठीक जमीन के पीछे सर्राफा व्यापारी विनय बोथरा की जमीन है जो कुछ ठगी करने वाले दलालों और ब्रोकरों के शिकार हुए हैं जिनके वजह से विनय बोथरा ने पीछे की जमीन ऊंचे दाम में खरीदा और दलालों ने यह बताया कि सामने पूरी सरकारी जमीन है और यह सब आपका है ऐसे में बिना आस पास के गांव के लोगों से पूछताछ किए बिना बिना वकील के सर्च किए बिना विनय बोथरा ने जमीन को खरीद लिया और खरीदने के बाद अब जब पता चला कि सामने की जमीन में कोई यादव परिवार का कब्जा है तो अपने रसूखदारी राजनीति और नेतागिरी के चलते बड़े से बड़े लोगों को यादव के जमीन पर कब्जा करने या उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करना चालू कर दिया अतिक्रमण बताकर हटाने का प्रयास किया गया जिससे गांव वालों में रोष है गांव वालों में नाराजगी है ऐसे में शासन प्रशासन में बैठे हुए पटवारी और तहसीलदार भी इस रसूखदार सर्राफा व्यापारी के पैसे के इशारे पर नाच रहे हैं यह बड़ी शर्म की बात है अब देखना यह होगा कि यहां एक गरीब आदमी को न्याय मिलता है या पैसे के दम पर 50 वर्षों से काबिज यादव परिवार को अतिक्रमण बताकर उसको हटाया जाता है जबकि आपको बता दे की  रायपुर नेशनल हाईवे रोड में ग्राम दुल्लापुर चौक से नहर नाली जो निकाला गया है उसमें लगभग 35 से 40 किसान की जमीन सामने आता है जिनका जमीन सिंचाई विभाग में भू-अर्जन में मर्ज दिखाया जाता है लेकिन केवल एक ही आदमी मिलन यादव के खसरा को ही अतिक्रमण बताया जा रहा है यह सोच का विषय है गुमनाम आवेदक केवल पटवारी के आवेदन और जांच से पैसे का मोटा रकम लेनदेन कर तहसीलदार मिलन यादव व उनके परिवार को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं ।

राजस्व विभाग के नियम यह भी कहता है कि अगर 35 से 40 किसान की जमीन अगर सरकारी है तो करवाई सबके उपर होना चाहिए केवल एक ही व्यक्ति के ऊपर क्यों यह अपने आप में एक प्रश्न चिन्ह है ?

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