भारत में घटने लगी आबादी, प्रजनन दर में हुई कमी।
‘लांसेट’ का अध्ययन अधिकांश बच्चे दुनिया के कुछ सबसे गरीब क्षेत्रों में पैदा होंगे
तहलका न्यूज// भारत की प्रजनन दर 1950 में लगभग 6.2 थी जो 2021 में घटकर दो से कम हो गई है। वर्ष 2050 और 2100 में ये घटकर क्रमशः 1.29 और 1.04 होने का अनुमान है। शोध पत्रिका ‘लांसेट’ में प्रकाशित एक अध्ययन में यह कहा गया है। नए खुलासे से साफ है कि कई पश्चिमी देशों की तरह भारत में भी एक बड़ी आबादी ज्यादा बच्चों से बचना चाह रही है। हम दो और हमारे दो पर भी नए जोड़ों का भरोसा घट रहा है। भारत में जनसंख्या वृद्धि के ये नए आंकड़े ये संख्याएं वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप है, जहां कुल प्रजनन दर 1950 में प्रति महिला 4.8 बच्चों से अधिक थी और 2021 में घटकर 2.2 बच्चे प्रति महिला हो गई।
2100 तक गरीब देशों के बच्चों की हिस्सेदारी दोगुनी
शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि अधिकांश बच्चे दुनिया के कुछ सबसे गरीब क्षेत्रों में पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि 2021 से 2100 तक दुनिया में गब्बों के जन्म के मामले में कम आय वाले देशों की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत से लगभग दोगुनी होकर 35 प्रतिशत हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जलपरिवर्तन के असर के साथ, उच्च-प्रजनन दर वाले इन कम आय वाले कई देशों में बाद, सूखा और भीषण गर्मी का भी प्रकोप रहने की आशंका है इससे भोजन, पानी का संकट पैदा होने के साथ गर्मी से संबंधित बीमारियां और मौत की संख्या भी बढ़ेगी। शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनिया भर में आबादी की उम्र बढ़ने के साथ भू-राजनीति खाद्य खाद्य सुरक्षा स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।