अपना जिलाकबीरधाम विशेषकवर्धा की खास ख़बरें

आग की चपेट में जंगल, 71.21 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित, वन अफसरों की लापरवाही साफ नज़र आ रही है

कवर्धा| गर्मी के दौरान जंगलों में आगजनी की घटनाएं आम हैं। गर्मी बढ़ने के साथ जंगल फिर दहकने लगी हैं। ढाई महीने में ही जिले के 70 अलग-अलग जगहों पर जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसमें 71.21 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। हालांकि, वन अफसर आग बुझाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन अब भी स्थिति वैसे ही दिख रही है. सेंदूरखार, भांकुर, बिरूलडीह, टेढ़ापानी, डेंगुरजाम, कुई जैसे आसपास मैकल पर्वत श्रृंखला से धुंआ उठा रहा है, लपटें भी दिख रही है, जो दूर से ही आसानी से देखी जा सकती है।

आग को रोकने व काबू पाने की जिम्मेदारी जिन वन अफसरों पर है, वे लापरवाही से बाज नहीं आते। रूखमीदादर का वनरक्षक दो जगहों पर पदस्थ है। महिडबरा, रुखमीदादर के जंगल में आग लगने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 7 दिन से ज्यादा समय हो गया है।

वन अफसरों को पता है कि पेड़ों की अवैध कटाई और महुआ बीनने के लिए जंगल में आग लगाई जाती है, लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही है। जंगलों में लगी आग से वन्यजीव इधर-उधर भटक रहे हैं। हाल ही में भोरमदेव के चौरा गांव में भालू दिखा था। लोहारा क्षेत्र के बस्ती में जंगल से भटका लकड़बग्घा पहुंच गया था। वहीं पंडरिया क्षेत्र में बस्ती में घुसे हिरण की कुत्तों के हमले से मौत हो गई थी।

वन निगम के जंगलों में 26 जगहाें पर लगी हुई है आग
जिले में जंगल का एक बड़ा हिस्सा वन विकास निगम के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस सीजन वन निगम के जंगलों में भी 26 जगहों पर आगजनी की घटनाएं हो चुकी है। 14 अप्रैल को ही प्रोजेक्ट रेंज सिंघनपुरी के तरसिंह और प्रोजेक्ट रेंज तरेगांव के लीलादादर में आगजनी हुई थी। इससे पहले 12 अप्रैल को प्रोजेक्ट रेंज तरेगांव के लीलादादर में आग लगी थी। वहीं भोरमदेव वाइल्ड सेंचुरी में 12 मार्च को 5 जगहों पर आगजनी हुई।

Related Articles

Back to top button