( पार्ट -1)Kawardha: वन विभाग और स्वास्थ्य विभाग कार्यालय के मुख्य लिपिक एक ही स्थान पर है वर्षों से पदस्थ क्यो?…जानिए कौन….

राज्य सरकार के दामांद बन के बैठे हैं
जिले में वन मंडल अधिकारी के कार्यालय में 15-20 वर्षों मोहन झारिया और समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बोड़ला में सहायक ग्रेट 2 के पद में कृष्ण कुम्भकार जो कि मुख्य लिपिक के पर पदस्थ है
कबीरधाम ! छत्तीसगढ़ शासन कुछ माह पूर्व शासकीय कर्मचारियों के तबादले छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार द्वारा किये गए थे किंतु कवर्धा विधानसभा क्षेत्र की बात कहे तो यहां लगभग 15 वर्षों से एक ही सीट पर विराजमान अधिकारी-कर्मचारी जमे हुए है जिनका तबादला नही हो रहा हैं क्यो?
जैसे ही तबादला की खबर उनके कानों तक पहुचती है तो अपने अपने जुगाड़ में लग जाते है यहां तक कि सत्ताधारी नेताओ के सामने दंडवत प्रणाम कर हाजरी लगाने से जुट जाते हैं और फिर क्या,यथा संभव प्रयास कर रुक जाती है।
फेविकोल की तरह ख़ुर्शी में लंबे समय से चिपके हुए हैं
अधिकांश तौर पर सरकारी सेवा में तीन साल बाद तबादले का नियम है, लेकिन जुगाड़ की राजनीति से यह नियम हवा हो गए हैं। केवल क्लास वन और टू के अधिकारियों को ही एक जिले से दूसरे जिले में ट्रांसफर किया जाता है,शेष कर्मचारियों की पोस्टिंग में उन्हें कोई हिला भी नहीं पाता। नेतागिरी और साम-दाम-दण्ड-भेद की नीति उन्हें 10 से 15 साल तक टिकाए रख रही है। सरकार किसी की भी हो, कर्मचारी अपनी सीट सुरक्षित रख ही लेते हैं।
जिले में वन मंडल अधिकारी के कार्यालय में 15-20 वर्षों मोहन झारिया और समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बोड़ला सहायक ग्रेट 2 कृष्ण कुम्भकार जो कि मुख्य लिपिक के पर पदस्थ है जो एक प्रकार से राज्य सरकार के दामांद बन बैठे हैं एक ही स्थान पर बर्षो से टिके हुए है और यहां तक कि उसके सेवा समय मे लगभग 10 अधिकारी आये और चले गए फिर भी ये महाशय एक ही स्थान पर टिके हुए हैं क्यो? ऐसा प्रतीत होता है कि कही ना कहि लम्बा झोलझाल का मामला हो सकता है ,अगर इन महान भव का विशेष जाँच पड़ताल शुरू किया जाए तो क्या होगा भगवान जाने ।
जांच का विषय- सम्बन्धी विभाग में नियुक्ति से आज तक संपत्ति का ब्यौरा मांगा जाये तो क्या होगा?
व्यवहार दोनो पार्टीयो के नेताओ से ऐसी बना रखे है कि प्रमोशन होते हुए भी एक ही जगह टिके हुए है ।इन अधिकारियो कर्मचारियो के लम्बी अवधि से जमे रहने से सरकार को चुना लगाने में कोई कसर नही छोड़ा है।
शासकीय सेवको द्वारा अपनी मर्यादा भूल कर स्वार्थ के लिये राजनैतिक गठजोड कर विभिन्न शासकीय योजनाओ, मशीनरी का दुरूपयोग कर शासन और आमजनता को लूट में लगे हुए हैं। स्वच्छ निर्वाचन की प्रक्रिया को प्रभावितकर चुनाव आयोग की सीमा लांघते है |