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कबीरधाम : पत्रकार सुरक्षा अधिनियम की माँग तेज, भ्रष्टाचार उजागर करने पहुँचे पत्रकार पर जानलेवा हमला

कबीरधाम। देश का चौथा स्तंभ कहलाने वाली पत्रकारिता आज खुद असुरक्षित होती जा रही है। पत्रकार सुरक्षा अधिनियम को तत्काल लागू करने की माँग इसलिए जोर पकड़ रही है क्योंकि हालात ऐसे हैं कि भ्रष्टाचार उजागर करना अब सीधी मौत को दावत देने जैसा हो गया है। जनता से जुड़ी आपातकालीन सेवाओं और ज्वलंत मुद्दों को सामने लाने वाले पत्रकार आज अपनी ही सुरक्षा को लेकर भयभीत हैं।

इसी कड़ी में एक सनसनीखेज मामला कबीरधाम जिले से सामने आया है। यहां द फायर न्यूज पोर्टल के संपादक एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आईएनएच के जिला संवाददाता संजय यादव अपने कैमरा मैन के साथ जिले में खुलेआम बिक रहे घटिया पानी और बिना रेट-डेट की पैकिंग वाली बोतलें बेचने वाले गोरखधंधे का भंडाफोड़ करने पहुंचे थे। यह कारोबार क्षीरपानी ब्रांड के नाम से चल रहा था। आरोप है कि मौके पर पहुंचे पत्रकारों के साथ न केवल अभद्र व्यवहार किया गया बल्कि उन्हें जान से मारने की भी कोशिश की गई। किसी तरह दोनों अपनी जान बचाकर वहां से निकलकर थाने पहुँचे।


FIR की जगह मिली नसीहत!

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब पीड़ित पत्रकार थाना सिटी कोतवाली पहुँचे तो वहां मौजूद पुलिस अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज करने के बजाय पत्रकारों को “समझौता करने” की नसीहत दी। इतना ही नहीं, चेतावनी दी गई कि यदि रिपोर्ट दर्ज करने की जिद की तो उल्टा मामला पत्रकारों पर ही बन सकता है। इससे यह साफ जाहिर हो गया कि प्रशासन पत्रकारों के साथ खड़ा होने की बजाय उद्योगपतियों के पक्ष में झुका हुआ दिखाई दे रहा है।


पत्रकारिता या शहादत?

ऐसे हालात में बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या अब पत्रकारिता करना शहादत देने के समान हो गया है? एक ओर भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है, वहीं पत्रकार समाज के हित में अपनी जान जोखिम में डालकर सच्चाई सामने ला रहे हैं। लेकिन प्रशासन और सुरक्षा तंत्र की ढिलाई चौथे स्तंभ को लगातार कमजोर कर रही है।

पत्रकार समाज का कहना है कि यदि पत्रकार सुरक्षा अधिनियम को तत्काल प्रभाव से लागू नहीं किया गया तो वे आंदोलन की राह अपनाने को मजबूर होंगे।

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