अमलीडीह के तीन प्लाट की 1.30 करोड़ से शुरू हुई थी बोली, चिटफंड कंपनी की प्राॅपर्टी 4.14 करोड़ में नीलाम
राजधानी में पहली बार किसी चिटफंड कंपनी की जमीन नीलाम की गई है। दिव्यानी कंपनी की अमलीडीह में स्थित 1.30 करोड़ की जमीन नीलामी के बाद 4 करोड़ 14 लाख 92500 रुपए में बिकी। अमलीडीह के मुख्य इलाके में मौजूद 34875 वर्गफीट जमीन के लिए सबसे ज्यादा 15 लोगों ने बोली लगाई। आखिरी समय में दो लोग बोली में रह गए। अंतत: सन एंड सन ग्रुप के बाबूलाल शर्मा ने 3.84 करोड़ की बोली लगाकर जमीन अपने नाम कर ली।
अफसरों ने बताया कि इस चिटफंड कंपनी के पीड़ितों की संख्या 20 हजार होने का अनुमान है। नीलामी में जमीन लेने वालों को पूरे पैसे चुकाने के लिए एक माह का वक्त दिया गया है। पीड़ितों की पहचान कर इसके एक माह के भीतर यानी दो महीने में उनके खाते में हिस्से की रकम डालने की संभावना है। दिव्यानी कंपनी की ही अमलीडीह में स्थित खसरा नंबर 196/6 रकबा 0.022 हेक्टेयर और खसरा नंबर 196/14 रकबा 0.011 हेक्टेयर की भी नीलामी की गई।
लेकिन इन जमीनों को खरीदने के लिए लोगों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस वजह से दोनों जमीन तय सरकारी कीमत में ही बिक गई। इस जमीन को खरीदने के लिए केवल तीन से चार लोगों ने ही आवेदन किया था। चिटफंड कंपनी की बाकी दोनों जमीन जांजगीर-चांपा के विनोद कुमार अग्रवाल ने खरीदी। उन्होंने 0.022 हेक्टेयर जमीन 21.29 लाख और 0.011 हेक्टेयर जमीन सरकारी कीमत से केवल 1000 रुपए ज्यादा 9 लाख 63 हजार 500 देकर हासिल कर ली।दिव्यानी कंपनी के साथ ही तहसील में बीएन गोल्ड कंपनी की प्रॉपर्टी भी नीलामी के लिए रखी गई थी। लेकिन कंपनी के ऑफिस और जमीन को खरीदने के लिए एक भी खरीदार नहीं पहुंचा। इस कंपनी की टिकरापारा में 4326 (खसरा नंबर 296/72) वर्गफीट जमीन और एमएम शॉपिंग सेंटर के दूसरे फ्लोर में करीब 300 वर्गफीट का ऑफिस है। दोनों ही प्रॉपर्टी खरीदने के लिए किसी ने एडवांस रकम जमा नहीं की। अफसरों का कहना है कि इस प्रॉपर्टी को बेचने के लिए फिर से आम सूचना जारी की जाएगी।चिटफंड कंपनी की जमीन नीलामी से जो रकम आई है, वह शासकीय खाते में जमा की जाएगी। तहसीलदार मनीष देव साहू ने बताया कि इसके लिए खरीदार को एक महीने का समय दिया गया है। जिस चिटफंड कंपनी की जमीन बिकी, उसके जरिए ठगे गए लोगों की पहचान की जा रही है। अफसरों का अनुमान है कि इस कंपनी में 20 हजार लोगों ने निवेश किया था। नीलामी के पैसे इन्हीं में बांटे जाएंगे। अभी तय नहीं है कि रकम किस अनुपात में बांटी जाए। कलेक्टर से निर्देश मिलने के बाद इसे तय किया जाएगा। आवेदन करने वाले लोगों से उनके खाता नंबर पहले ही लिए जा चुके हैं। इसलिए कंपनी में रकम गंवाने वाले लोगों के पैसे उनके खातों में जमा कर दी जाएगी। कितने लोगों के खातों में कितनी रकम ट्रांसफर गई इसकी सूची ऑनलाइन अपलोड करने के साथ ही तहसील दफ्तर में भी चस्पा की जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 2 महीने का समय लगेगा।तहसील दफ्तर के हॉल में गुरुवार को दोपहर 12 बजे नीलामी शुरू की गई। अमलीडीह में खसरा नंबर 191/21 रकबा 0.324 हेक्टेयर जमीन के लिए 1 करोड़ की सरकारी बोली रखी गई। एक मिनट में ही बोली लगाने वालों ने इसकी कीमत 2 करोड़ पहुंचा दी। नियमों के अनुसार हर बोली में 10 हजार रुपए में बढ़ोतरी करनी थी, लेकिन बड़े कारोबारियों ने हर बोली में 1 लाख रुपए में बढ़ाए। करीब 30 मिनट बाद जमीन की कीमत 3 करोड़ पार हो गई। इस नीलामी में दूसरे नंबर पर भागवत प्रसाद तिवारी रहे, जिन्होंने 3 करोड़ 82 लाख 81000 रुपए की आखिरी बोली लगाई। नियमों के अनुसार सन एंड सन ग्रुप ने नीलामी की कीमत का 10 फीसदी रकम 38 लाख रुपए का चेक भी जमा कर दिया। एक महीने में जमीन की बाकी रकम अदा नहीं की जाती है तो फिर इस जमीन का ऑफर दूसरे नंबर पर रहे तिवारी को मिल जाएगा।
सख्ती के बाद कार्रवाई; प्रदेश में 2000 करोड़ से ज्यादा की ठगी पर 17322 लोगों को 7.86 करोड़ वापस
प्रदेश में चिटफंड कंपनियों ने करीब 20 लाख लोगों से 2000 करोड़ से ज्यादा की ठगी की है। पिछले साल जिलों में कंपनियों में रकम गंवाने वाले लोगों से आवेदन मंगाए गए थे। इनमें सबसे ज्यादा रायपुर जिले में करीब 2.40 लाख लोगों ने आवेदन किया था। 6 साल में पुलिस 200 से ज्यादा फरार डायरेक्टरों में केवल 60 को गिरफ्तार कर पाई है। इनसे 60 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की गई थी, जिसमें से 9.32 करोड़ की संपत्ति नीलाम करने की अनुमति मिली है। इसमें 7.86 करोड़ रुपए 17,322 लोगों को वापस किए गए हैं।
यहां भी नीलामी : रायपुर के अलावा धमतरी, राजनांदगांव और बलौदाबाजार में ही कुछ कंपनियों की संपत्ति नीलाम हो सकी है।