कवर्धा बोड़ला : आवासीय छात्रवासों में बच्चों का शोषण,अधीक्षक नही रहते आश्रम में,बच्चे भगवान भरोसे क्यो ?

जिला में बैठे अधिकारी सिर्फ कमीशन खा रहे है। आश्रमों व छात्रावासों के निरीक्षण का अभाव बना हुआ है
आदिवासी आश्रमों में बच्चों का हो रहा शोषण
कवर्धा बोड़ला, आदिवासी क्षेत्रों के आर्थिक रूप से कमजोर आदिवासी बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिये शासन के आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा आवासीय छात्रावासों एवं आश्रमों मे व्यय हेतु आदिवासी बच्चों को आवास के साथ अच्छी शिक्षा, भोजन, पढ़ने खेलने एवं अन्य सुविधाओं के रूप में भारी भरकम बजट खर्च किया जाता है लेकिन वनांचल के अधिकांश इन संस्थाओं में पदस्थ अधीक्षक द्वारा शासन से प्राप्त सुविधाओं में कांटा मारकर आदिवासी बच्चों का शोषण किया जा रहा है दुर्भाग्य जनक मामला सामने आया है।
मीनू का उल्लंघन
सप्ताह में एक दिन ही नास्ता
अधीक्षक नहीं रहते आश्रमों में
आदिवासी बालक आश्रम- बैरख का मामला
इन संस्थाओं में अधीक्षक के रूप में आदिवासी वर्ग के ही लोग पदस्थ हैं जिनके द्वारा ही यह कार्य किया जा रहा है.प्रति वर्ष करोड़ों रुपये शासन ख़र्च कर रही हैं। शासन द्वारा बच्चों के भोजन के लिए मीनू लागू होने के बाद भी कटौती कर अपने हिसाब से अधीक्षक द्वारा गुणवत्ता हिन भोजन दिया जा रहा है. संख्या से कम बच्चे नजर आते है जब भी देखो।लेकिन दर्ज संख्या के अनुसार रजिस्टर में लिख कर वय बताया जा रहा है विगत दिनो हमारे तहलका न्यूज़ रिपोर्टर ने आदिवासी बालक आश्रम बैरख पहुंचकर देखा कि वहां अधीक्षक गायब थे एवं मात्र दस बच्चे मौजूद थे.
कभी-कभी देते हैं दाल ,बच्चों ने बताया कि बीस छात्र कई दिनों से अपने घर चले गये है वहीं भोजन में दाल कभी कभी में दिया जाता है. हरी सब्जी भी कभी कभी दिया जाता है ज्यादातर सोयाबीन बड़ी आलू देते है. नास्ता केवल रविवार को पोहा देते है ।आश्रम सफाई का अभाव है अन्य सुविधाओं की कमी रहती है बच्चों ने बताया कि अधीक्षक यहां नहीं रहते वे रोज 12 बजे आते हैं तथा शाम को बोड़ला चले जाते हैं रात्रि में केवल चौकीदार रहता है भगवान भरोसे बच्चों रहते है। बच्चों ने बताया कि दस पंद्रह बच्चे दो तीन माह से अपने घर चले गए है लेकिन अधीक्षक दर्ज संख्या के आधार पर व्यय दर्शा रहे हैं बैरख का आश्रम गांव से थोड़ा दूर पहाड़ी के पास स्थित है फिर भी अधीक्षक वहां निवास नहीं कर बोडला में रहते हैं.
आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा वनांचल के आश्रमों एवं छात्रावासों की निगरानी एवं निरीक्षण के अभाव से व्यवस्था बेलगाम हो रही है वहां पदस्थ अधिकारी कमाई करने के बाद भी बच्चों को असुरक्षित छोड़ देते है. ।