कवर्धा के ढाबों में खुलेआम बिक रही शराब, प्रशासन मौन – क्या मिलीभगत का मामला?
उत्पात मचा रहे शराबी! शहर के आउटर में नशेड़ियों का लग रहा जमघट, सख्ती जरूरी…

कवर्धा शहर में संचालित कई ढाबों में रात के अंधेरे में खुलेआम शराब पिलाई और बेची जा रही है, और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि प्रशासन पूरी तरह से मौन है।
शहर के बाहरी इलाकों से लेकर मुख्य मार्गों पर स्थित कई ढाबों में आबकारी अधिनियम का खुला उल्लंघन करते हुए शराब परोसी जा रही है। नियमों को दरकिनार कर बिना लाइसेंस के शराब बेचना और पिलाना न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि इससे क्षेत्र में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा, शोरगुल, झगड़े और महिलाओं की सुरक्षा पर खतरा भी बना हुआ है।
स्थानीय नागरिकों की परेशानी चरम पर
रात्रिकालीन समय में ढाबों के पास से गुजरना अब आम नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और परिवारों के लिए असुरक्षित हो गया है। तेज़ म्यूजिक, गाड़ियों की भीड़, नशे में धुत लोग – ये सभी अब ढाबों की पहचान बन चुके हैं। नागरिकों ने कई बार शिकायतें कीं, लेकिन अधिकारियों की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
राजनांदगांव और रायपुर बायपास मार्ग पर ढाबा में खुलेआम शराब बेचा और पिलाया जा रहा है,शासकीय शराब दुकान बंद होने के बाद अवैध रूप से देर रत तक दुकान संचालित कर अधिक मूल्य पर शराब बेचा जा रहा है शासन प्रशासन इन पर कार्यवाही करने में क्यों कतरा रही है ? और महुवा बेचन वाले छोटे छोटे लोगो के विरुद्ध कार्यवाही सिर्फ दिखावा के लिए ?
प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
जब यह सब खुलेआम हो रहा है तो सवाल उठता है – प्रशासन कार्रवाई से क्यों कतरा रहा है? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या शराब माफियाओं से मिलीभगत? सवाल गहरे हैं और जवाब फिलहाल कहीं नहीं दिखते।
कानून को दिखाया जा रहा ठेंगा
छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम के तहत किसी भी ढाबे या सार्वजनिक स्थान पर बिना लाइसेंस के शराब परोसना दंडनीय अपराध है। इसके बावजूद ढाबा संचालकों को न तो डर है, न ही कोई रोक-टोक।
जनता का आक्रोश बढ़ा, कार्यवाही की माँग तेज़
स्थानीय लोगों ने अब प्रशासन से स्पष्ट शब्दों में माँग की है कि:
शराब बेचने वाले ढाबों की तत्काल जांच कर लाइसेंस और नियमों का परीक्षण किया जाए।
अवैध शराब बिक्री करने वालों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए।
रात में पुलिस गश्त बढ़ाई जाए और ढाबों की निगरानी के लिए विशेष टीम गठित की जाए।
यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं होती, तो नागरिक आंदोलन की चेतावनी भी दे रहे हैं।
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस गंभीर जनहित के मुद्दे पर कब तक आंखें मूँदे बैठा रहता है, या फिर जनता की आवाज़ को सुनकर कोई ठोस कदम उठाता है।