बालाघांत

गांगुलपारा की दुर्गम पहाड़ियों में पहुँची मानवता की रोशनी — सेवा समिति ने बच्चों को दी गर्माहट, जागरूकता और उम्मीद

ग्राम गांगुलपारा, जिला बालाघाट।
घने जंगलों और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों के बीच बसे गांगुलपारा तक पहुँचना जितना कठिन है, उतनी ही कठिनाइयों से जूझना यहाँ के ग्रामीणों और बच्चों की रोज़ की हकीकत है। कड़कड़ाती ठंड के इस मौसम में जब सामान्य परिवार भी संघर्ष कर रहे हैं, तब इस दुर्गम वनांचल के बच्चे विपरीत परिस्थितियों में भी जीवन को सँभालने की कोशिश करते हैं।

इन्हीं संघर्षों के बीच 20 नवंबर 2025 को आदर्श दानपात्र सेवा समिति, बालाघाट ने इस क्षेत्र में पहुँचकर ऐसा कार्य किया जिसने पूरे गाँव में गर्माहट और मानवीय संवेदना की एक नई लहर पैदा कर दी। समिति ने शासकीय प्राथमिक शाला गांगुलपारा में कंबल और शॉल वितरण कर बच्चों व ग्रामीणों के चेहरों पर मुस्कान की रोशनी बिखेर दी।

कड़ाके की ठंड में राहत—कंबलों ने दिए सुकून के पल

जैसे ही छोटे-छोटे बच्चों को कंबल और शॉल ओढ़ाए गए, उनकी आँखों में जो चमक और सहज राहत दिखी, वह इस पहल के वास्तविक उद्देश्य को स्पष्ट कर गई। ठंडी पहाड़ियों के बीच उन्हें मिली यह गर्माहट सिर्फ कपड़ों की नहीं, बल्कि समाज की सच्ची संवेदना की गर्माहट थी।

समिति ने बताया कि अभियान का मकसद केवल राहत देना नहीं, बल्कि यह संदेश पहुँचाना भी है कि—
“पहाड़ों की ऊँचाई चाहे जितनी हो, समाज की मदद हमेशा उन तक पहुँचेगी जो जरूरतमंद हैं।”

जागरूकता का सूत्र—बच्चों के मन में बोए सकारात्मकता के बीज

कार्यक्रम के दौरान बच्चों को कई महत्वपूर्ण विषयों पर जागरूक किया गया—

स्वच्छता और साफ-सफाई

स्वास्थ्यप्रद आदतें

खेलकूद का महत्व

कठिन परिस्थितियों के बावजूद शिक्षा का उज्ज्वल भविष्य

समिति सदस्यों ने बच्चों को प्रेरित किया कि वे पर्वतीय चुनौतियों को बाधा नहीं, बल्कि अपने विकास की सीढ़ी समझें।

स्थानीय शिक्षकों और ग्रामीणों की सराहनीय भागीदारी

कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने में शाला के प्रधान पाठक देवराम पंचेश्वर, स्टाफ सदस्य संजय बनसोड़, ग्रामीणजन एवं समिति सदस्य मौजूद रहे। सभी ने इस सामाजिक पहल का स्वागत करते हुए इसे क्षेत्र की वास्तविक आवश्यकता बताया।

करुणा-हृदय दानदाताओं का आभार

समिति ने हृदय से धन्यवाद दिया—
भारती ढोके, लक्ष्मी डोंगरे, पंचशील वैद्य, के. के. भालाधरे, आशीष कुमार बारमाटे, मिलिंद देशभरताल सहित समिति के सभी सदस्यों को, जिनके सहयोग से यह मानवीय सेवा सफल हो सकी।

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