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दुर्ग निगम में अवैध प्लॉटिंग का खुला खेल! नेता और अफसर बने दर्शक, ‘बाघमार सरकार’ पर उठे सवाल..?

तहलका न्यूज दुर्ग// भ्रष्टाचार मुक्त सरकार और सुशासन की बड़ी-बड़ी बातें करने वाली ‘बाघमार’ सरकार के सत्ता में आने के बाद, दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग और अवैध निर्माण का खेल एक नए ही ‘विकराल’ रूप में सामने आया है। कभी ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ शहर बनाने का वादा कर जनता का विश्वास जीतने वाली यह शहरी सरकार,आज खुद निगम के इतिहास में ‘सबसे निष्क्रिय’ सरकार के रूप में शहर में चर्चा का केंद्र बन गई है।
गया नगर, रामनगर, और उरला जैसे क्षेत्रों में अवैध प्लाटिंग का तांडव ऐसा चल रहा है कि अब इसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ ‘पदों पर आसीन’ नेताओं की ‘खुली सहभागिता’ की चर्चाएं जोरों पर हैं। हद तो तब हो गई जब गया नगर में पूसई डबरी तालाब को पाटकर अवैध कॉलोनी का निर्माण हुआ और कसारीडीह क्षेत्र में भी यह खेल खुलेआम जारी है।
“निगम प्रशासन और भवन शाखा की ‘गूंगी’ चुप्पी”
सबसे बड़ा आश्चर्य और कटाक्ष का विषय तो निगम प्रशासन और भवन शाखा विभाग का ‘मौन’ है। एक तरफ मुख्यमंत्री विष्णु देव और (वित्त मंत्री) रेरा (RERA) अप्रूव्ड कॉलोनियों के प्रचार वाले ‘रील’ बनाकर आम जनता को ‘आश्वस्त’ कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ, उसी दल के नेतृत्व वाली स्थानीय सरकार के नाक के नीचे, शिकायतों के अंबार के बावजूद, अवैध कॉलोनियों की ‘फसल’ काटी जा रही है।
ऐसा प्रतीत होता है कि निगम प्रशासन और भवन शाखा ने आम जनता के हितों की रक्षा करने के अपने ‘संवैधानिक पद की शपथ’ को शायद किसी ‘अवैध प्लाट के कागजात’ में लपेटकर दफ्तर की किसी अलमारी में बंद कर दिया है। उनकी यह ‘निष्क्रियता’ नहीं, बल्कि ‘बाघमार सरकार’ के संरक्षण जैसा प्रतीत हो रहा है। सवाल यह है कि क्या यह ‘मौन’ सिर्फ अनदेखी है, या फिर इस ‘खुले खेल’ में ‘ऊपर तक’ की सहभागिता का प्रतीक?
जनता को गुमराह करने वाले ‘रील’ और ‘गड्ढों’ भरा शहर!
शहर की वर्तमान दुर्दशा पर नजर डालें तो, गड्ढों और अंधेरी सड़कों से लेकर जानवरों की बहुतायत तक, समस्याओं का बोलबाला है। इन सबके बीच अवैध प्लाटिंग का यह नया सिलसिला निगम और जिला प्रशासन के लिए मानो ‘आँखें मूंदने’ का एक और बहाना बन गया है।
अगर प्रदेश के शीर्ष नेता रेरा अप्रूव्ड कॉलोनी की बात ‘रील’ में कर रहे हैं, और ज़मीनी हकीकत पर ‘बाघमार सरकार’ के नेतृत्व में खुलेआम अवैध प्लाटिंग हो रही है, तो यह स्पष्ट है कि सुशासन की बात सिर्फ ‘आम जनता को गुमराह करने’ के लिए की जा रही है। शहरी सरकार के कुछ नेताओं पर यह चर्चा है कि वे ‘पद की आड़ में’ खुलकर अवैध कटिंग का कार्य करवा रहे हैं।
यह स्थिति न सिर्फ ‘बाघमार’ सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त शासन के दावों की हवा निकाल रही है, बल्कि संवैधानिक पदों पर बैठे निगम अधिकारियों की निष्क्रियता को भी उजागर कर रही है। दुर्ग की जनता अब यह सवाल पूछ रही है कि क्या उनकी सरकार सिर्फ ‘कागज’ और ‘रील’ पर ही शासन करेगी, या फिर ज़मीन पर उतरकर ‘अवैध प्लाटिंग’ के इस ‘खुले खेल’ पर लगाम भी लगाएगी?

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