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DMF फंड के नाम पर बंदरबांट — अफ़सरों का कॉल डाइवर्ट राज जारी!

कबीरधाम में जनता परेशान, अफ़सर बेपरवाह — फोन उठाने तक की फुर्सत नहीं! कॉल डाइवर्ट” खेल जारी….

कबीरधाम में “कॉल डाइवर्ट राज” — जनता की आवाज़ बंद, अधिकारी मस्त एसी में!

कबीरधाम। जिले में प्रशासनिक व्यवस्था इन दिनों मज़ाक बनकर रह गई है। जनता परेशान है, लेकिन जिले के कई अधिकारी “कॉल डाइवर्ट” के खेल में मस्त हैं।
घटिया निर्माण कार्यों की शिकायत करने वाले नागरिकों के फ़ोन या तो उठाए नहीं जाते, या सीधे डाइवर्ट कर दिए जाते हैं।

जिले में करोड़ों की लागत से बन रहे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन अधिकारी फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझते।
जनता का कहना है कि जब भी वे किसी विभाग के अधिकारी को निर्माण कार्यों की शिकायत बताते हैं, तो फोन या तो “व्यस्त” मिलता है या “कॉल फ़ॉरवर्ड” पर चला जाता है।

जनता की पीड़ा:
“हमारा पैसा टैक्स के रूप में जाता है, लेकिन उसकी निगरानी करने वाले अधिकारी एसी कमरों से बाहर निकलना नहीं चाहते।
हम शिकायत करने जाते हैं, तो दफ़्तर में ‘साहब मीटिंग में हैं’ कह दिया जाता है। और जब फोन करते हैं तो ‘कॉल डाइवर्ट’ पर चला जाता है।”

ग्रामीणों का आरोप है, जिले में चल रहे कई निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। सड़कों और इमारतों में दरारें बनने लगी हैं, लेकिन किसी को जवाबदेही का डर नहीं है।

जनता पूछ रही है:
👉 क्या कबीरधाम में अब शिकायत करना भी अपराध है?
👉 क्या अधिकारी सिर्फ एसी कमरों में बैठकर सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर करने के लिए हैं?
👉 जनता की आवाज़ अगर कॉल डाइवर्ट हो जाए, तो न्याय कैसे मिलेगा?

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रशासन को तत्काल इस “कॉल डाइवर्ट संस्कृति” पर रोक लगानी चाहिए और जनता से जुड़ी शिकायतों को प्राथमिकता से सुनना चाहिए।

अब सवाल उठता है — कबीरधाम में ‘राज’ जनता का है या अफ़सरों का?

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