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पुलिस का अभद्र व्यवहार अब नहीं चलेगा! सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन, दोषी पर होगी कड़ी कार्रवाई

पुलिस का अभद्र व्यवहार अब नहीं चलेगा! सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन, दोषी पर होगी कड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में पुलिस कर्मियों के अभद्र व्यवहार और ‘तू-तड़ाक’ की भाषा पर सख्त रुख अपनाया है। पावुला येसु दासन बनाम राज्य मानवाधिकार आयोग, तमिलनाडु (SLP(C) NO. 20028/2022) मामले में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि थाने में किसी भी पुलिसकर्मी या अधिकारी द्वारा शिकायतकर्ता के साथ तू-तड़ाक या किसी भी तरह का अभद्र व्यवहार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन माना जाएगा।

इस फैसले को जनता के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को सम्मान के साथ व्यवहार का अधिकार है, और पुलिस जैसे जिम्मेदार संस्थान में इस तरह का आचरण बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।

तमिलनाडु के इंस्पेक्टर पर लगा दो लाख का जुर्माना

मामले की सुनवाई के दौरान तमिलनाडु के एक इंस्पेक्टर, पावला येसु दासन, पर शिकायतकर्ता के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप साबित हुआ। इस पर न्यायालय ने कड़ा कदम उठाते हुए दोषी इंस्पेक्टर पर ₹2 लाख का जुर्माना लगाया और उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाकर एक मजबूत संदेश दिया है कि आम जनता के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुलिस अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा।

न्यायालय का सख्त रुख

अदालत का यह फैसला उस स्थिति पर रोक लगाने का प्रयास करता है, जहां अक्सर शिकायत दर्ज कराने वाले लोगों को पुलिस के खराब व्यवहार का सामना करना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से लोगों को यह आत्मविश्वास मिलेगा कि वे सम्मान और गरिमा के साथ थाने में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

पुलिस अधिकारी रहे सावधान

यह फैसला उन सभी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है जो अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। यदि कोई भी पुलिसकर्मी जनता के साथ गलत तरीके से पेश आता है, तो पीड़ित व्यक्ति इस केस का संदर्भ देकर उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पुलिस का कर्तव्य जनता की सेवा और सुरक्षा करना है, न कि उनके साथ अपमानजनक व्यवहार करना।

फैसले के मुख्य बिंदु

अनुच्छेद 21 का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस थाने में किसी भी शिकायतकर्ता के साथ “तू-तड़ाक” या अभद्र भाषा का इस्तेमाल करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। यह अनुच्छेद प्रत्येक नागरिक को गरिमा के साथ जीने का मौलिक अधिकार देता है।

समान व्यवहार का अधिकार: कोर्ट ने कहा कि जो नागरिक थाने में किसी अपराध की शिकायत दर्ज कराने आते हैं, वे भी सम्मान के हकदार हैं और उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।

दोषी पर जुर्माना: इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु मानवाधिकार आयोग (TNSHRC) के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें दोषी पुलिस इंस्पेक्टर पावुला येसु दासन पर ₹2 लाख का जुर्माना लगाया गया था। यह राशि पीड़ित शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर दी गई, जिसे बाद में दोषी इंस्पेक्टर से वसूलने का भी निर्देश दिया गया था।

FIR दर्ज करने से इनकार: कोर्ट ने यह भी पाया कि इंस्पेक्टर ने न केवल अभद्र भाषा का प्रयोग किया था, बल्कि उसने शिकायतकर्ता की FIR दर्ज करने से भी इनकार किया था।

यदि भविष्य में आपको किसी पुलिसकर्मी के अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ता है, तो आप इस फैसले का संदर्भ दे सकते हैं और अपनी गरिमा के अधिकार पर जोर दे सकते हैं।

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