
सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है. यह महीना श्रद्धा, संयम और सात्विक जीवनशैली को अपनाने का प्रतीक माना जाता है. इस दौरान कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से परहेज करने की सलाह दी जाती है, जिनमें दही, कढ़ी और रायता प्रमुख हैं.
सावन में इन खाद्य पदार्थों का त्याग केवल धार्मिक मान्यता नहीं है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं. यह संयम न केवल स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि भगवान शिव की आराधना में भी श्रद्धा और पवित्रता बनाए रखने में सहायक होता है. आइए जानते हैं विस्तार से…
सावन में क्यों नहीं खाना चाहिए दही, कढ़ी, रायता? जानिए वैज्ञानिक और धार्मिक कारण
वैज्ञानिक कारण (Why Not To Eat Curd in Sawan)
1. वर्षा ऋतु में पाचन क्षमता कम हो जाती है: सावन का महीना वर्षा ऋतु में आता है. इस समय वातावरण में नमी और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. दही और उससे बने खाद्य पदार्थ भारी होते हैं, जिससे गैस, अपच और अम्लता (एसिडिटी) की समस्या हो सकती है.
2. बैक्टीरिया और संक्रमण का खतरा: बरसात के मौसम में हवा में नमी अधिक होती है, जिससे बैक्टीरिया और फफूंद (फंगस) तेजी से पनपते हैं. दही और कढ़ी जैसे किण्वित (फर्मेंटेड) उत्पाद जल्दी खराब हो सकते हैं, जिससे फूड पॉइजनिंग या पेट से जुड़ी बीमारियाँ हो सकती हैं.
3. ठंडक बढ़ाने वाले तत्व: दही और रायता शरीर में ठंडक उत्पन्न करते हैं. इस मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कमजोर होती है, ऐसे में ठंडी प्रकृति वाले पदार्थ सर्दी, खांसी या जुकाम जैसी समस्याएं बढ़ा सकते हैं.
धार्मिक कारण (Why Not To Eat Curd in Sawan)
1. सावन शिव भक्ति का महीना है: सावन भगवान शिव को समर्पित होता है. इसमें संयमित और सात्विक जीवनशैली को अपनाना शुभ माना जाता है. ऐसे में गरिष्ठ और किण्वित चीजों से परहेज करना आवश्यक होता है.
2. शिव को प्रिय हैं बेलपत्र, जल और दूध, दही नहीं: धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव को शुद्ध जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित करना श्रेष्ठ माना गया है. जबकि दही और कढ़ी जैसे पदार्थ शिव पूजा में वर्जित माने जाते हैं.
3. व्रत और संयम का महत्व: सावन में कई श्रद्धालु व्रत रखते हैं. व्रत के दौरान हल्का, सात्विक और सुपाच्य भोजन करना श्रेष्ठ माना गया है. दही-कढ़ी जैसे भारी और किण्वित भोजन व्रत की भावना से मेल नहीं खाते.
सावन में क्या खाएं?
मूंग दाल या साबूदाना की खिचड़ी, ताजे फल और सूखे मेवे, दूध, पनीर (संतुलित मात्रा में), हर्बल चाय या तुलसी का काढ़ा, हरी सब्जियाँ (साफ-सुथरी और उबली हुई)