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शुद्ध सूती धागे से बनी सोनामनी साड़ी को टैग दिलाने का प्रयास

तहलका न्यूज जगदलपुर// बस्तर की परंपरागत सोनामनी साड़ी पूरी दुनिया में पनका साड़ी के नाम से विख्यात है। शुद्ध सूती धागे से तैयार की गई, यह साड़ी 10 हजार रुपए तक में बेची जा रही है। केंद्र सरकार का वस्त्र मंत्रालय बस्तर की पनका साड़ी को टैग दिलाने प्रयासरत है। इसके लिए मद्रास स्थित कार्यालय से पत्र व्यवहार किया जा रहा है।

बस्तर में पनका जाति के लोग सूती धागे से परंपरानुसार हथकरथा से साड़ी बनाते हैं। यह कार्य सैकड़ों वर्षों से बस्तर के विभिन्न गांवों में बनाई जा रही है सफेद रंग की सूती साड़ी और उसमें कत्थई रंग की सुंदर कारीगरी एक तरफ जहां बस्तर को प्रतिबिंबित करती है। वहीं इसकी खूबसूरती देश-दुनिया में विख्यात है। पनका जाति के लोग शहर से सूती धागा खरीद कर ले लाते हैं। इसे गोबर पानी में रात भर भीगाते है तत्पश्चात साफ कर इसे सुखाते हैं। यह प्रक्रिया लगातार 7 दिनों तक दोहराई जाती है। ऐसा करने से धागे का दूधिया रंग पूरी तरह से स्वच्छ और सफेद हो जाता है। इस धागे को ताना-बाना में लपेटा जाता है। इसी तरह कत्थई रंग का धागा बनाने के लिए साजा नामक पेड़ जिसे ग्रामीण आदन कहते है, की छाल को कूटकर पानी में डाला जाता है। इसमें सूती भागे को पांच दिनों तक डूबा कर रखा जाता है इसे सूखने के बाद धागे को 24 घंटे तक अरंडी तेल में डूबा कर रखा जाता है। फिर इसे कूट-कूट कर धोया

विकास आयुक्त, हस्तशिल्प, वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार अधीनस्थ जगदलपुर कार्यालय में पदस्थ कार्यालय प्रमुख रेवतीरमण देवांगन ने बताया कि बस्तर को सोनामनी साड़ी पूरी दुनिया में पनका साड़ी के नाम से चर्चित है। अब इस साड़ी को पहचान दिलाने तथा टैग प्राप्त करने चेन्नई स्थित कार्यालय में रजिस्ट्रेशन की करवाई जारी है। चेन्नई की टीम बस्तर आए और पनका माड़ी की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर इसे टैग प्रदान करेगी। ऐसा होने के बाद कोई दूसरा राज्य नगर पनका साड़ी पर दावा नहीं कर पाएगा




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