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कवर्धा, बोड़ला: चपरासी के भरोसे छात्रवास, अधीक्षक की मनमानी

छात्रावासों में रहने वाले आदिवासी बच्चे असुरक्षा में जीवन जीने को मजबूर

आश्रम में अव्यवस्था का आलम, बच्चों की जान खतरे में

कवर्धा, बोड़ला। जिला में संचालित लगभग आश्रम भगवान भरोसे चल रहा है, जिससे बच्चों की भविष्य खतरे में है मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं ,जिले में बैठे अधिकारी की निगरानी की कमी के कारण अधीक्षक अपनी मनमानी करते हैं।

छात्रावास में इनकी सुरक्षा के लिए अधीक्षक की नियुक्ति की जाती है, लेकिन अधीक्षक ही गायब रहते है।
बोड़ला में स्थित पी. मैट्रिक अनुसूचित जनजाति बालक छात्रावास बोड़ला में पदस्थ अधीक्षक में हॉस्टल से अनुपस्थित रहने व छात्रावास की अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार पर कार्रवाई इसलिए नही होती क्यों इनकी राजनीतिक दलों खासकर पकड़ या फिर इनके रिश्ते दार उच्च पद में बैठे होते है ज्ञात हो कि यह मात्र एक ही हॉस्टल की स्थिति नहीं वरन जिले में ऐसे दर्जनों छात्रावास हैं, जहाँ पर अधीक्षक गायब रहते है। दिलचस्प बात तो यह है कि यहां पदस्थ अधीक्षक बच्चों को चपरासियों के हवाले कर चले जाते रजिस्टर में दस्तखत कर अपना कर्तव्य पूरा कर लेते हैं। साथ ही माह भर की तनख्वाह भी उठा लेते हैं। बोड़ला में स्थित प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास में पदस्थ अधीक्षक अपनी ड्यूटी कवर्धा से आना जाना करते है शासकीय प्री मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास के अधीक्षक भी अपना पूरा कवर्धा में निवास करते हैं।
राजनीतिक पकड़ या फिर बड़े पद में रिश्ते दार उच्च पद का फायदा उठा रहे है अधीक्षक
लाखों रुपए खर्च के बाद भी हॉस्टल में बच्चों के लिए सुविधा के लिए कुछ नहीं है। खिड़की में मच्छर से बचने के लिए मच्छरदानी भी नहीं लगा हुआ, जिसे बच्चों का सेहत कभी भी खराब हो सकता। मच्छरों के प्रकोप से डेंगू, मलेरिया जैसे गम्भीर बीमारी फैल सकती है। इसके बाद भी अधीक्षक रुचि नहीं दिखा रहे हैं। बच्चों के शौचालय की भी हालत खराब है। शौचालय का शीट गंदगी से भरा पड़ा है। पीने का ठंडा पानी और न ही रात में सोने के लिए बैड लगा हुआ जनसंख्या ज्यादा है सोने में बच्चों को तकलीफ होती है।

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