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- नए मॉडल पर विचार कर रही है सरकार; सीएम लेंगे अंतिम फैसला
12 मिनट पहले
पिछले 5 साल में राजस्थान में करीब 10 कॉम्पिटिशन एजाज में पेपर लीक हुआ। ऐसा न होता है तो 1 लाख से ज्यादा युवाओं को नौकरी मिलती है।
राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं का बार-बार लीक होना सरकार के लिए भी सिरदर्द बन गया है। अब इसका पुख्ता इलाज करने वाले मॉडल पर विचार किया जा रहा है। बार-बार होने वाले पेपर लीकेज के मामलों से निपटने के लिए राज्य सरकार परीक्षाओं में सभी दावों को अलग-अलग पेपर देने पर विचार कर रही है।
सीएम अशोक गहलोत के स्तर पर इसे जल्द ही अंतिम मंजूरी मिल सकती है। तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं। विभाग के मंत्री सुभाष गर्ग जल्द ही बाबत मुख्यमंत्री गहलोत से मिलकर उन्हें प्रस्ताव सौंपेंगे।
अब तक हजारों-लाखों की संख्या में एक ही तरह का पेपर मिलता है। ऐसे में किसी भी परीक्षा में किसी एक लिंक का पेपर भी लीक हो जाता है तो पूरी परीक्षा अटक कर दुबारा रुक जाती है। रीट-तृतीय श्रेणी परीक्षा का उदाहरण है। 2020 से इसकी प्रक्रिया चल रही है, अब तक परीक्षा जारी है, इसके तहत करीब 45 हजार शिक्षकों को नियुक्ति अनुपालन अभी भी बहुत दूर की बात है।
दो दिन पहले ही अटके हुए मतदाताओं ने सरकार के खिलाफ शाहपुरा (जयपुर) में प्रदर्शन किया था।
राज्य की कांग्रेस सरकार ने पिछले चार वर्षों में बहुत सी लोकप्रिय योजना भी शुरू की। 9 उपचुनाव में से 7 जीते भी। लेकिन पूरी सरकार में पेपर लीक के मामले में सबसे बड़ी चिंता का सबब बने हैं। हर मंत्री-विधायक में इसे लेकर व्याप्त है। सरकार के सामने अगर कोई सबसे बड़ी चुनौती है तो वो पेपर लीकेज ही है।
पिछले चार साल में 10 परीक्षाओं के पेपर लीक हो गए हैं। अगर यह सभी परीक्षाएं ठीक समय पर पूरी होती तो अब तक करीब एक लाख 10 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी मिल गई। सरकार के सामने चुनौती है कि वो 40 दिन बाद 24-25 फरवरी को होने वाली प्रदेश की सबसे बड़ी कॉम्पैमेंट परीक्षा (ततीय श्रेणी शिक्षक भर्ती) को पेपर लीक के कलंक से कैसे बचाए।
तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग। गर्ग के प्रोफेसर कॉलेज और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व उम्मीदवार भी हैं।
तकनीकी शिक्षा विभाग राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने भास्कर को बताया कि अभी भी जो सिस्टम राजस्थान कॉम्पिटिशन परीक्षाओं में भर्ती हुआ है, वो बेहद मजबूत है। तभी तो अपराधी पकड़े जा रहे हैं। उनके अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाए गए। लेकिन पेपर लीक ही न हो इस पर पिछले दिनों सरकार के द्वारा बहुत एक्सरसाइज की गई है।
सीएम गहलोत और हम सभी लोग चिंतनशील हैं। निर्वस्त्र होने वाले आर्थिक नुकसान और मानसिक दर्द से बचा जाना बहुत जरूरी है। हम इस पर बहुत विचार-मंथन कर चुके हैं। बहुत से स्ट्रैटेजी से बातचीत हो चुकी है। अब सभी दस्तावेजों को अलग-अलग पेपर सॉल्व करने को दिए गए सिस्टम को अपनाना ही समझेंगे।
इससे कोई कागज लीक भी हुआ तो वो इक्का-दुक्का से ज्यादा मंजूर का नहीं होगा। पेपर लीक होने पर उनका रिजल्ट रोक कर बाद में घोषित किया जा सकता है।
कॉम्पेक्ट परीक्षाओं को सिस्टम फुल प्रूफ बनाने की मांग को लेकर बेरोजगार युवाओं ने सरकार को चेतावनी दी है।
शोक राजस्थान महासंघ के प्रदेश ग्रेड उपेन यादव ने भास्कर को बताया कि अब समायोजित गले तक भर गए हैं। एक तरफ तो सीएम गहलोत अगले बजट वाले युवाओं को समर्पित करने की बातें कह रहे हैं और दूसरी तरफ नौकरी छोड़कर नौकरी नहीं मिल रही है।
अभी भरतियों से संबंधित अधिकांश बजट घोषणाएं अपूर्ण हैं। सरकार को कागज़ लीक को रोकने के लिए कोई भी पूर्ण प्रूफ सिस्टम बनाना चाहिए और जितने भी मामले इस संबंध में अब तक बने हुए हैं, उनकी रिपोर्ट भी सार्वजनिक रूप से जानी चाहिए। अब भी अगर सरकार ने लीक को नहीं रोका तो 2023 के अंत में होने वाली विधानसभा चुनाव में सरकार के अंदर से कांग्रेस पार्टी भी लीक हो जाएगी।
कैसे होंगे अलग-अलग पेपर
- सभी विशिष्ट को पूरी तरह से एक-दूसरे से भिन्न पेपर दिए जाएंगे। इसमें कागज लीक होने पर संपूर्ण रिजल्ट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
- एक परीक्षा केंद्र पर एक ही तरह का पेपर और दूसरा सेंटर पर दूसरी तरह का पेपर वितरित किए जाएंगे। किसी सेन्टर पर पेपर लीक भी हो गया तो उस सेन्टर के 400-500 रिजल्ट को रोका जा सकता है।
- कंप्यूटर ऐप द्वारा लॉटरी से रोल नंबर के होश से पेपर दिए जाएंगे। इससे पेपर लीक हो भी जाए तो किसी को यह पता नहीं लग सकता कि यह पेपर किसके पास जाने वाला है। ऐसे मकानों-प्लॉटों की लॉटरी या बहुत सी इनामी योजनाओं में खेला जाता है जहां हजारों-लाखों की संख्या में आवेदन पत्र आते हैं।
लाखों की संख्या में समस्याएँ हैं
हालांकि हर दृश्य को अलग-अलग कागज देने में सबसे बड़ी चुनौती एक लाख की संख्या में होना है। ऐसे में बहुत से एडवांस टेक्नोलॉजी के ऐप हैं, जिससे मदद मिलेगी और बहुत से एडवांस टेक्नोलॉजी के विकल्प भी हैं। परीक्षाओं को अलग-अलग 4-5 चरणों में करवाना भी इस समस्या को कम कर देगा।
यह उन परीक्षाओं में तो जोखिम उपाय ही बनने की संभावना की संख्या लाखों में नहीं हो सकती। सरकार के सामने सबसे बड़ा लक्ष्य पेपर लीका है। अगर यह रुक गया तो सरकार को करोड़ों रुपये की बचत होगी जो अभी भी अपराधियों को पकड़ते हैं, दुबारा परीक्षा जोखिम, पुलिस-प्रशासन के लंबे-चौड़े सुरक्षा संबंधी तामझाम पर खर्च हो रहे हैं।
सरकार की गुड गवर्नेंस की छवि और लोगों के बीच परसेप्शन भी खराब हो रहा है। हाल ही में कांग्रेस के बिड़ला सभागार में हुए सम्मेलन में सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने कहा था कि अगली चुनावों में पेपर लीक मामला भारी पड़ेगा। ऐसा मामला है कि सरकार के सारे अच्छे काम पर पानी फेर देगी।
अब सरकार के भीतर इसे लेकर चिंता व्याप्त है कि अगले बजट में सत्र में कागज लीक को लेकर विपक्षी नेता उसकी निंदा कर सकते हैं।
सीएम गहलोत गुड गवर्नेंस के नाम पर सेंसर कैम्पिंग भी करने वाले हैं और अगले बजट के युवाओं को प्रतिबद्ध करने की बात कह रहे हैं, लेकिन इस छवि के सामने पेपर लीकेज मामले ही सबसे बड़ी चुनौती है।
इस साल आने वाले हैं यह कॉम्पिटिशन परीक्षाएं
पिछले 4-5 साल में इन परीक्षाओं का पेपर लीक हुआ
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सीनियर टीचर भर्ती का पेपर कहा से हुआ लीक?:ढाका-सारण को किसने पर्चा दिया, गलती-लेखन गैप तक कैसे पहुंचे पेपर
सुरेश ढाका और भूपेन्द्र सारण। सीनियर टीचर भर्ती का पेपर लीक करने वाले इन दोनों मास्टरमाइंड के नाम तो हर कोई जानता है, लेकिन अब भी पुलिस और जांच एजेंसियां ये पता नहीं लगाती हैं कि इन तक पेपर कैसे पहुंचें? सबसे पहले किसने और कैसे लीक किया पेपर?
ऐसा पहली बार नहीं है। आरईईटी से लेकर कांस्टेबल भर्ती परीक्षा, सभी पेपर लीक हुए, निशानों में मास्टरमाइंड का पता चला, लेकिन सबसे पहले पेपर लीक जहां से हुआ और जिसके बारे में आज तक पता नहीं चला। (पूरी खबर पढ़ें)
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