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सरकार ने किया कोल डिस्पैच सिस्टम का बचाव:

रायपुर: राज्य सरकार ने खनिज विभाग के कोल डिस्पैच ऑर्डर की प्रक्रिया को ऑनलाइन से ऑफलाइन करने का बचाव किया है। इस बदली प्रक्रिया की वजह से सरकार को सात हजार 217 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है।

छत्तीसगढ़ खनिज भण्डारण नियम- 2009 में विशेष परिस्थिति में खनिज पट्टेधारियों और लाइसेंस रखने वालों को खनिज को कहीं भेजने से पहले जिला कार्यालय को जानकारी देनी होती है। इसमें भेजे जाने वाले खनिज की मात्रा, उसका ग्रेड और किसको भेजा जा रहा है इस बात की जानकारी होती है।

कोयले को कहीं भेजने के लिए जारी होने वाले डिस्पैच ऑर्डर की जांच के संबंध में विभाग की ओर से प्रचलित व्यवस्था के संबंध में अवगत कराया गया है। इसके तहत प्रदेश में कोयला खदानों का संचालन और परिवहन प्रमुख रूप से भारत सरकार के उपक्रम SECL की ओर से किया जाता है।

कोयले पर राज्य शासन को मिलने वाली रॉयल्टी SECL की स्कीम अनुसार दिए जा रहे कोयले के बेसिक सेल प्राइज का 14% होता है। स्कीमवाइज पाॅवर और नॉनपावर श्रेणी और ग्रेडवाइस कोयले के बेसिक सेल प्राइज में हड़ा अंतर होता है। इसी व्यवस्था के तहत सरकार को कोयला भेजने से पहले इसकी रॉयल्टी और डीएमएफ उपकर, अधोसंरचना उपकर आदि की पूर्व जानकारी होना जरूरी है।

इसमें कोयला खान मालिकों को खान से कई संस्थानों, उपभोक्ताओं को कोयला भेजने के लिए ऑनलाइन पोर्टल से डिलीवरीॉ ऑर्डर के आधार पर ई-परमिट जारी करने के पहले निर्धारित प्रपत्र में संबंधित जिले के खनिज अधिकारी को आवेदन और अनुमति का प्रावधान किया गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि विभाग का मैदानी अमला इसकी समुचित जांच कर सके।

प्रवर्तन निदेशालय-ED ने कोयला परिवहन व्यवस्था में बदलाव के बाद की परिस्थितियों को आधार बनाकर छत्तीसगढ़ में बड़ी कार्रवाई की है। यहां अधिकारियों, कारोबारियों के ठिकानों पर छापेमारी हो रही है। रायगढ़ कलेक्ट्रेट की खनिज शाखा में छापा पड़ा है।

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