कांकेर जिला (उत्तर बस्तर)छत्तीसगढ़ स्पेशल

परेशानी: जिले में खरीफ सीजन में किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी|

जिले में खरीफ सीजन में किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी रासायनिक खाद को लेकर हो रही है। सीजन के साथ शुरू हुआ रासायनिक खाद का संकट अब तक बरकरार है। जिले में सबसे ज्यादा किल्लत यूरिया और डीएपी को लेकर है। लैम्प्सों में रासायनिक खाद नहीं है और खुले बाजार में महंगे भाव में बिकने वाली रासायनिक खाद की कालाबाजारी व्यापारियों ने शुरू कर दी है।

जिले में खरीफ सीजन के लिए अप्रैल से रासायनिक खाद पहुंचना शुरू हो जाता है। जिले में रासायनिक खाद 32 हजार 200 टन पहुंचने का लक्ष्य है लेकिन अभी तक की स्थिति में जिले में मात्र 16 हजार 417 टन रासायनिक खाद पहुंची है। यानी लक्ष्य के मुकाबले मात्र 50 प्रतिशत। जिले में यूरिया 13 हजार 500 टन पहुंचना था लेकिन अभी तक की स्थिति में मात्र 6 हजार 157 टन ही पहुंच पाई है।

लेम्प्सों में किसानो को रासायनिक खाद नहीं मिल रही है तो किसान मजबूरी में महंगे भाव में खाद लेने खुले बाजार पहुंच रहे हैं। लैम्प्सों में यूरिया की कीमत 266.50 रुपए है जो बाजार में 600 से 800 रुपए तक बिक रही है। डीएपी का सरकारी रेट 1350 रुपए है जो बाजार में 1700 रुपए तक बिक रही है। पोटाश की कीमत 1700 रुपए है जो बाजार में 2200 रुपए तक मिल रहे हैं।

खरीफ सीजन में 3 बार डालनी पड़ती है खाद: खरीफ सीजन में खेतों में खाद तीन बार डालना पड़ता है। बोनी के सप्ताह भर बाद, बियासी के समय और धान में ग्रोथ होने के समय खेत में रासयानिक खाद डाली जाती है।

कोकपुर के किसान अंतुराम कुंजाम ने कहा बाजार में रासायनिक खाद की कीमत काफी ज्यादा है। लैम्प्सों में डीएपी, यूरिया नहीं मिलने से बाजार से ज्यादा कीमत में लेना पड़ रहा है जिससे कृषि लागत बढ़ जाएगी। कृषि लागत बढ़ने से किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान होगा।

कांकेर डीएमओ सीपी सिंह ने कहा पहले की अपेक्षा रासायनिक खाद की स्थिति सुधरी है। डीएपी की जरूर कमी है। लैम्प्स जरूरत होने पर सही समय पर मांग पत्र नहीं भेजते है जिससे परेशानी हो रही है।

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