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सेहत पर खतरा:खेतों का कीटनाशक पहुंच रहा खारून में, फिटकरी की खपत पांच गुना बढ़ी|

बारिश तेज होते ही गंदे नालों और गड्‌ढों में महीनों से भरा गंदा पानी खारुन नदी में मिल रहा है। इसी से नदी का पानी इतना मटमैला हो गया है कि आंखों से नजर आ रहा है। पानी के साथ घुलकर आ रहे रसायनिक और कीटनाशक से लोगों की सेहत पर खतरा बढ़ गया है। इस वजह से पानी को साफ और शुद्ध करने में ज्यादा मेहनत के साथ अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ रही है। पानी साफ करने के लिए फिटकरी का उपयोग भी 5 गुना बढ़ गया है। पानी साफ करने की प्रक्रिया में जरा सी चूक होने से ही डायरिया और पीलिया जैसी बीमारियां फैलने का खतरा भी रहता है।

खारुन नदी रायपुर और दुर्ग जिले की सीमा से गुजरती है। बालोद जिले के गुरुर ब्लॉक में ग्राम बड़भूम के पास पेटेचुआ गांव से इसका उद्गम हुआ है। दोनों जिलों से होते हुए यह नदी करीब 120 किमी का सफर तय कर शिवनाथ नदी में मिल जाती है। नदी के किनारे-किनारे कृषि भूमि है। धान के खेतों के अलावा सब्जियों की बाड़ियां भी हैं।

खेतों में रसायनों का प्रयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने और बीमारियों से बचाने के लिए भी कई तरह की दवा का छिड़काव किया जाता है। बारिश के पानी के साथ खेतों में छिड़के गए रसायनिक तत्व व दवा नदी में मिलते हैं। मिट्‌टी की वजह से पानी का रंग तो मटमैला दिखता है, लेकिन रसायनिक तत्व की मौजूदगी सामान्य आंखों से नजर नहीं आती।

विशेषज्ञों का कहना है यही सबसे ज्यादा खतरनाक है। घरों से निकलने वाले सीवरेज के पानी में भी कास्टिक आदि की मात्रा बढ़ी होती है। इन सबके कारण बारिश के दिनों में पानी अधिक प्रदूषित हो जाता है। खारुन का पानी भाठागांव इंटकवेल से फिल्टर प्लांट पहुंचता है। यहां इसे साफ किया जाता है।

सामान्य दिनों में पानी कम प्रदूषित होता है। इसलिए पानी साफ करने में फिटकिरी और दवा की मात्रा कम होती है। बारिश में मात्रा बढ़ाने के साथ पूरी प्रक्रिया में ज्यादा ध्यान देना पड़ता है। बताया जा रहा है कि पानी को साफ करने के लिए फिटकिरी की खपत 4 से 5 गुना बढ़ गई है। मौदहापारा, सड्‌डू, टिकरापारा, खमतराई व गुढ़ियारी इलाकों में मटमैला पानी आने की शिकायत की गई है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि बारिश में मटमैला पानी आम है। इसे फिल्टर प्लांट में अच्छी तरह साफ किया जा रहा है।

फिल्टर प्लांट के इंजीनियरों के अनुसार सामान्य दिनों में इंटकवेल में पानी साफ करने के लिए 5 से 6 टन फिटकिरी का उपयोग किया जाता है। इन दिनों 20 से 25 टन फिटकिरी का उपयोग किया जा रहा है। क्लोरिन की मात्रा सामान्य व बारिश के दिनों में वैसी ही रहती है। इसमें कोई खास फर्क नहीं पड़ता।

राजधानी के आउटर में अच्छी बारिश के कारण खारुन नदी लबालब है। भाठागांव इंटकवेल से फिल्टर प्लांट पहुंचने वाला पानी मटमैला है। इसमें मिट्‌टी समेत दूसरे घुलनशील पदार्थ भी हैं। इंजीनियरों के अनुसार पानी को शुद्ध करने के लिए फिटकिरी की डोजिंग अनिवार्य है।

पानी की चार स्तर पर सफाई
पानी को नलों तक पहुंचाने में 4 प्रक्रिया से गुजरना होता है। सबसे पहले पानी इंटकवेल से फिल्टर प्लांट के टैंक में पानी आता है। इसे कुछ देर स्थिर रखा जाता है, जिससे पानी में जो अशुद्धियां हो, नीचे बैठ जाए। इसके बाद टैंक के पानी को फिल्टर करने का काम शुरू किया जाता है।

इसी दौरान मेन राइजिंग पाइप लाइन में पानी छोड़ने के पहले फिटकिरी व क्लोरिन की डोजिंग की जाती है। पानी में क्लोरिन की मात्रा 0.2 पीपीएम हो, इसका ख्याल रखा जाता है। अधिकारियों का कहना है कि कई बार टेल एंड एरिया तक क्लोरिन की सही मात्रा नहीं पहुंच पाती। इसलिए कुछ मात्रा में इसकी डोजिंग बढ़ाई जाती है।

इन इलाकों में मटमैला पानी की शिकायत
मौदहापारा, सड्‌डू, टिकरापारा, खमतराई व गुढ़ियारी
वर्जन

फिल्टर प्लांट का पानी शुद्ध
हो सकता है कि बारिश की वजह से कहीं-कहीं मटमैला पानी आ जाता हो, लेकिन यह पूरी तरह शुद्ध होता है। फिल्टर प्लांट में इसकी जांच भी होती है। वर्तमान में 270 व 115 एमएलडी यानी 385 एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है।
सतनाम पनाग, अध्यक्ष जल विभाग

दूषित पानी से पीलिया व उल्टी-दस्त का खतरा
गर्मी व बरसात के दिनों में दूषित पानी पीने से चर्म रोग, पेट रोग, पीलिया, हैजा, दस्त, उल्टी या टाइफाइड हो सकता है। यही कारण है कि खासकर बरसात के दिनों में पानी को उबालकर पीने की सलाह दी जाती है।

एक निजी अस्पताल के डायरेक्टर डॉ.युसूफ मेमन व सीनियर मेडिकल कंसल्टेंट डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा के अनुसार बरसात के दिनों में पेट खराब होने या टायफाइड, उल्टी-दस्त की समस्या ज्यादा होती है। ऐसे में पानी को उबालकर पीना चाहिए। कम से कम 20 मिनट तक पानी उबालने से पानी के कीटाणु मर जाते हैं। स्किन एक्सपर्ट डॉ. विनोद कोसले के अनुसार दूषित पानी में नहाने से भी बचना चाहिए। इससे चर्म रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

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