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अगर कार चलानी है तो नए नियम पढ़ लें, वरना आपकी गाड़ी घर की पर्किंग में ही खड़ी रह जाएगी….

सड़क हादसों की कई वजहें होती हैं। इनमें टायर का खराब होना भी एक बड़ी वजह है। इस तरह के हादसों को रोकने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। इससे पहले सरकार ने रोड सेफ्टी के लिए कार में एयरबैग मैंडेटरी किए थे। एयरबैग की संख्या बढ़ाकर 6 करने का सुझाव भी दिया था।

हाल में सरकार ने MV एक्ट, यानी मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव किए हैं। इनमें सबसे बड़े बदलाव टायर और उनकी डिजाइन को लेकर किए गए हैं।

नए नियम में टायर की रेटिंग की जाएगी

पेट्रोल-डीजल की बचत के हिसाब से सरकार टायरों की स्टार रेटिंग का भी एक सिस्टम ला रही है। अभी भारत में बिकने वाले टायर की क्वालिटी के लिए BIS, यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड नियम हैं, लेकिन इस नियम से ग्राहकों को टायर खरीदने के दौरान ऐसी जानकारी नहीं मिल पाती है, जिससे उनका फायदा हो।

टायर खरीदते वक्त इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए

  • टायर खरीदते वक्त आपको सबसे पहले साइज का ध्यान रखना चाहिए। सही साइज जानने के लिए आप अपनी कार में लगे टायर के साइड में उसका साइज देख सकते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर साइड में (195/55 R 16 87 V) लिखा है तो इसमें 195 mm टायर की चौड़ाई है। 55% ट्रेड इसका एक्सपेक्ट रेशियो यानी हाइट है। ‘R’ मतलब टायर रेडियल है और 16 टायर की साइज इंच में लिखी गई है। 87 का मतलब हुआ लोड इंडेक्सिंग और ‘V’ टायर के स्पीड की रेटिंग।
  • टायर बदलवाने जा रहे हैं तो कंपनी के स्टैंडर्ड साइज का टायर ही लगवाएं। ये गाड़ी की पॉवर, माइलेज और परफॉरमेंस के हिसाब से लगता है।
  • सही ट्रेड पैटर्न वाला टायर ही चुनें। ट्रेड पैटर्न के वजन के कारण टायर की जमीन पर पकड़ कम या ज्यादा हो सकती है। इसलिए अगर आप बारिश में गाड़ी चलाते हैं, तो टायर का अच्छा ट्रेड पैटर्न पानी में भी रोड से पकड़ बनाए रखता है। इससे आपकी गाड़ी फिसलेगी नहीं।
  • दो तरह के टायर मार्केट में बिकते हैं- ट्यूब और ट्यूबलेस। आपको कंफ्यूज नहीं होना है और सीधे ट्यूबलेस टायर ही खरीदना है, क्योंकि ये ट्यूब वाले की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होते हैं। ट्यूबलेस टायर पंक्चर हो जाए तो इन्हें ठीक करवाना भी आसान होता है और ये बार-बार खराब नहीं होते हैं।

बरसात के मौसम मे रखे विशेष ध्यान

कार की सर्विसिंग– ताकि कार के पार्ट्स में पानी जाने की वजह से उसे स्टार्ट करने में दिक्कत न आए।

वाइपर को सही रखें– बारिश के मौसम में वाइपर खराब होने पर कार के बाहर साफ दिखाई नहीं देगा और एक्सीडेंट भी हो सकता है। साथ ही वॉशर सिस्टम को भी चेक करवा लें।

चेसिस का पानी साफ करवाते रहें– इस मौसम में अक्सर कार की चेसिस में पानी भर जाता है। समय-समय पर मैकेनिक के पास जाकर इसका पानी साफ करवाते रहें।

ब्रेक चेक- बारिश के दिनों में कार अक्सर स्किट हो जाती है या फिर ब्रेक शू चिपकने लगते हैं। ब्रेक चेक करवा लें। नए ब्रेक शू डलवा सकते हैं।

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