दुर्ग जिला शिक्षा कार्यालय मे हो रहा था भ्रष्टाचार, जिला प्रशासन ने 16 संविदा कर्मचारियों को किया बर्खाश्त
दरअसल, यह मामला एक साल पुराना है। पिछले साल जिले में संचालित स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मिडियम स्कूलों संविदा भर्ती निकाली गई थी। इसमें डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों को नियमों को ताक में रखकर नियुक्ति दे दी गई थी। ये ऐसे लोग थे जो मंत्री, विधायक, सांसद और बड़े नेताओं व अधिकारियों के करीबी थे। जब इस मामले की शिकायत की हुई तो कलेक्टर डॉ. एसएन भुरे ने जिला पंचायत सीईओ अश्वनी देवांगन को मामले की जांच के निर्देश दिए थे। जिला पंचायत सीईओ ने जांच में शिकायत को सही पाया। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी। इसके बाद कलेक्टर निर्देश पर करीब 16 संविदा कर्मचारियों को बर्खाश्त कर दिया गया।
शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
इस मामले के बाद शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जहां पर देश के भविष्य को ईमानदारी और नेक राह पर चलने की सीख दी जाती है, वहीं इस तरह का भ्रष्टाचार हो रहा है। इससे जिला प्रशासन की जमकर किरकिरी हो रही है। हालाकि कलेक्टर डां. सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे की सख्त कार्रवाई के बाद मामला कुछ शांत हुआ। फिर भी लोग इस इंतजार में है कि इस मामले के अन्य दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।
चयन समिति से लेकर नोडल अफसर तक आएंगे जांच के घेरे में
फिलहाल जिला प्रशासन ने इस मामले में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी और सिर्फ आधा दर्जन शिक्षकों को ही बर्खाश्त किया है। अभी मुख्य और बडे़ दोषियों पर कार्रवाई होना बाकी है। इस जांच के दायरे में चयन समिति और नोडल अधिकारी आ रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस पूरी भर्ती का खेल डीईओ कार्यालय में बैठकर ही खेला गया था।जांच में इस बात की पुष्टि हुई है, कि अफसरों और नेताओं के रिश्तेदारों को नौकरी पर लगाने के लिए नियम के विरुद्ध जाकर भर्ती की गई थी। इतना ही नहीं इस मामले को दबाने का प्रयास भी किया गया था। जांच रिपोर्ट पांच दिन पहले आने के बाद भी जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अफसरों ने रिपोर्ट को दबाए रखा था।