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पति और परिवार के प्रति समर्पण का प्रतीक वट सावित्री देवी की पूजा कैसे करें

वट सावित्री व्रत सभी सुहागिनों के लिए विशेष महत्व रखता है, यह व्रत स्त्रियों की भगवान के प्रति भक्ति को दर्शाता है। आज हम इस लेख में इस व्रत की महिमा के बारे में बात करेंगे। साथ ही आपको ये भी बताएंगे कि यह पर्व सुहागिनों के लिए उनके पति और परिवार के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इसके अलावा लेख में इस बात की भी चर्चा करेंगे कि इस दिन सुहागिनों को किन चीजों का विशेष ख्याल रखना चाहिए।

इस वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को पड़ने वाला वट सावित्री व्रत 30 मई को किया जाएगा। यह तिथि 29 मई, 2022 को दोपहर में 2 बजकर 54 मिनट पर प्रारंभ होगी और 30 मई को शाम में 4 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। आपको बता दें कि भारत के कुछ हिस्सों में जहां यह व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को किया जाता, वहीं कुछ भागों में स्त्रियां इस व्रत को ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को करती हैं।

यह पर्व सावित्री की अपने पति के प्रति सच्ची निष्ठा और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। इस दिन महिलाएं, सावित्री जी को आदर्श मानकर, उनके पति प्रेम एवं पतिव्रत धर्म की कथा का स्मरण करती हैं। साथ ही सुहागनें इस व्रत में अपने पति की दीर्घायु, बेहतर स्वास्थ्य और घर में सुख समृद्धि की कामना भी करती हैं। यह व्रत स्त्रियों के लिए सौभाग्य वर्धक,पापहारक,दुःख नाशक और धन-धान्य प्रदान करने वाला होता है, इसलिए यह व्रत अत्यंत विशेष एवं महत्वपूर्ण माना जाता है।

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