डंडे की जोर पर खत्म हुआ विद्युत् संविदा कर्मचारियों का आंदोलन
रायपुर। पिछले 44 दिनों से अपनी नियमितिकरण की मांग को लेकर आंदोलन पर डटे विद्युत् संविदा कर्मचारियों का आंदोलन शनिवार को डंडे की जोर पर खत्म हुआ। शनिवार को पुलिस का कहर आंदोलनकारियों पर टूट पड़ा। लोग जब सोकर नहीं उठे थे तब पुलिस उन्हें डंडे से मार-मार कर जगा रही थी।
घरना स्थल पर संविदा कर्मचारी सिर पर हाथ लगाकर बैठ थे और पुलिस उन्हें घसीट घसीट कर बसों में ठूंस रही थी। ये नजारा शनिवार सुबह राजधानी रायपुर के बूढ़ातालाब स्थित धरना स्थल पर देखने को मिला। जिस वक्त पुलिस आंदोनकारियों को पीट पीट कर घसीटकर बसों में ठूंस रही थी उस वक्त वहां जिला प्रशासन के आला अधिकारी भी मौजूद थे।
न सरकार झुकने को तैयार है न संविदा कर्मचारी हटने को
बता दें कि विद्युत् संविदा कर्मचारी पिछले 44 दिनों से अपनी नियमितिकरण की मांग को लेकर आंदोलन पर डटे हुए हैं। पिछले दो महीने से आंदोलनरत इन विद्युत् संविदा कर्मचारियों द्वारा कार्यत्याग करने के कारण विद्युत् लाइन की मरम्मत और मेंटनेस दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं।
लेकिन, सरकार और कर्मचारी दोनों ही अपनी ज़िद पर अड़े हुए हैं। न सरकार झुकने को तैयार है न संविदा कर्मचारी हटने को। शुक्रवार को भी विद्युत् संविदा कर्मचारी लगातार सीएम से मिलने की जिद के साथ हजारों की तादाद में सड़क पर बैठे हुए थे।
जब तक सीएम से बात नहीं हो जाती हम हटेंगे नहीं
विद्युत् संविदा कर्मचारी संघ के महामंत्री उमेश पटेल का कहना है कि “इससे पहले भी हमने सीएम से मिलने की कोशिश की थी। लेकिन तब ADM ने आकर सीएम से बात कराने का आश्वासन देकर हमें शांत कर दिया था। लेकिन आज 1 सप्ताह बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई। इस बार जब तक सीएम से बात नहीं हो जाती हम हटेंगे नहीं।”
नागिरकों ने की थी शिकायतः पुलिस
सीएम से मुलाकात की जिद्द पर अड़े विद्युत् संविदा कर्मचारियों पर शनिवार सुबह सुबह पुलिस क्रूरता की सभी हदें पार करते हुए टूट पड़ी। दो गाड़ियों में इन विद्युत् संविदा कर्मचारियों को लाठी से पीट पीट कर घसीट हुए बसों में ठूंसा गया। इस वक्त रास्ते से गुजरने वाला हर आदमी पुलिस की क्रूरता को देखकर ठहर गया, नहीं ठहरी तो सिर्फ छत्तीसगढ़ पुलिस….। हालांकि इस बारे में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आंदोलनकारी सड़कों पर बैठे थे, जिसकी इजाजत नहीं थी। आम नागरिकों ने इसकी शिकायत की थी।
लोकतंत्र में आंदोलनकारी को पुलिस की लाठी के दम पर घसीट कर उठाया जाना बड़े आंदोलन का कारण बन सकता है। फिलहाल धरना स्थल पर सन्नाटा पसरा हुआ है।