जिले को मिले 23 नए डॉक्टर,पर विशेषज्ञ एक भी नहीं
कबीरधाम। जिले के सरकारी अस्पतालों को 23 नए एमबीबीएस डॉक्टर मिल गए हैं। अप्रैल 2022 में चिकित्सा महाविद्यालय जगदलपुर और राजनांदगांव से एमबीबीएस उत्तीर्ण कर इंटर्नशिप पूरा करने के बाद ये डॉक्टर दो साल तक अस्पतालों में अपनी सेवाएं देंगे।परंतु चिंता करने वाली बात यह है की इनमें से एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है, जबकि जरूरत इनकी ज्यादा है।
जिले में 6 सामुदायिक अस्पताल संचालित हैं। इन अस्पतालों में चाइल्ड स्पेशलिस्ट, गायनेकोलॉजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) और एमडी मेडिसिन के पद स्वीकृत हैं। लेकिन सभी अस्पतालों में ये पद लंबे समय से रिक्त हैं। इन पदों पर कभी विशेषज्ञों की भर्ती नहीं हुई। यही नहीं, अस्पतालों में एनेस्थीसिया विशेषज्ञ भी नहीं है। शासन स्तर से डॉ. संजय खरसन और डॉ. आदेश बागड़े को एलएसएएस (लाइफ सेविंग एनेस्थीसिया स्कील्ड) की स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है। इन्हीं से काम चलाया जा रहा है। इधर ओपीडी में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने से संबंधित मरीजों को दीगर जिले में जाना पड़ता है।
विशेषज्ञों के बिना पंडरिया लोहारा में सिजेरियन प्रसव
संस्थागत प्रसव को बढ़ाने प्रयास किया जा रहा है। जिला अस्पताल (डीएच) कवर्धा व एमसीएच पंडरिया और सामुदायिक अस्पताल लोहारा में सिजेरियन प्रसव शुरू की गई है। एनेस्थीसिया और स्त्री रोग विशेषज्ञ विशेषज्ञ जरूरी है। हालांकि, विशेषज्ञों के बिना भी डेढ़ माह में लोहारा में 6 और पंडरिया में 3 सिजेरियन प्रसव किए गए हैं।
ऐसी स्थिति क्यों: दो डॉक्टर ने इस्तीफा दिया, तीसरा लंबे समय से गायब, चौथे ने खोला खुद का अस्पताल
जिला अस्पताल कवर्धा में कुछेक विशेषज्ञ डॉक्टर ऐसे हैं, जो त्यागपत्र दे चुके हैं। लेकिन उनके इस्तीफे को मंजूर नहीं हुए हैं। ये शासन स्तर पर पेंडिंग हैं। जिला अस्पताल में ऐसे दो विशेषज्ञ और 2 मेडिकल ऑफिसर हैं। इनमें से दो ने इस्तीफा दे दिया है, तीसरा अनाधिकृत रूप से लंबे समय से गायब है। चौथे ने तो खुद अस्पताल खोल लिया है। मिली जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल में पदस्थ रहे हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. गजेंद्र कौशल साल 2011 में सस्पेंड हो गए थे।
निलंबन के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और अब खुद का अस्पताल चला रहे हैं। लेकिन उनका इस्तीफा अब तक शासन स्तर पर मंजूर नहीं हुआ है। इसी तरह एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने डेढ़ साल पहले इस्तीफा दिया था, वह भी मंजूर नहीं हुआ है। डॉ. अर्चना कश्यप बीते डेढ़ साल से अनुपस्थित हैं। हाल ही में डॉ. नमिता वाल्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ ने अपना इस्तीफा दिया है। हालांकि, इनकी जगह पर डीएमएफ (खनिज न्यास मद) से दूसरे स्त्री रोग व एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की नियुक्ति कर ली गई है।
नई व्यवस्था से इन अस्पतालों को मिलेंगे नए डॉक्टर
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भिंभौरी, रक्से, रणवीरपुर, तरेगांव जंगल, उड़ियाकला, रवेली, छिरपानी, बैजलपुर, दलदली, रूसे, पोंडी, मानिकचौरी, बम्हनी, दामापुर, पंडरिया, मरका, मोहगांव, रेंगाखार और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र झलमला, कुकदूर व एमसीएच पंडरिया में नए डॉक्टर अपनी सेवाएं देंगे।
ग्रामीण क्षेत्र में डॉक्टर की कमी दूर होगी- कलेक्टर
कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने कहा है कि जिस भी सेंटर में नए डॉक्टर की पोस्टिंग हुई है, वहां इसकी कमी दूर जाएगी। जिला अस्पताल में डीएमएफ से एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की नियुक्ति की है। वे पंडरिया में भी अपनी सेवाएं देंगे। जो डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं और ये पेंडिंग है। इसे लेकर शासन को पत्र लिखा है। इस्तीफा मंजूर होने से पद रिक्त हो जाएंगे, तो उस पर नई भर्ती की जा सकेगी।