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कवर्धा : सेवारत कर्मचारियों के स्थान पर नई नियुक्ति के फरमान से कर्मचारी परेशान

स्वास्थ्य विभाग के मिशन संचालक के आदेश से वर्तमान सेवारत कर्मचारियों में खलबली सी मच गई।
कवर्धा। प्राप्त जानकारी के अनुसार एकम फाऊंडेशन नाम से संचालित एनजीओ व शासन के बीच नवजात गहन चिकित्सा इकाई के कर्मचारियों की नियुक्ति और संचालन पर अनुबंध हुआ। एसएनसीयू के कार्य का संचालन सुचारू रूप से चल रहा था लेकिन शासन के आदेश ने संविदा कर्मचारियों की चिंता बढ़ा दी।

कर्मचारियों का कहना है कि हमारे द्वारा विगत 7-8 साल से निरंतर सेवा दी जा रही है। लेकिन शासन ने हमारी स्थिति जूठे पत्तल के जैसी कर दी है जिसे धो कर रखा नहीं जा सकता फेंक दिया जाता है मानो हम किसी सांप सीढ़ी के खेल का हिस्सा हैं और मंजिल के करीब आते ही सर्प ने हमें पुनः पहले पायदान पर ला दिया है। हमारे कार्यरत रहते हुए ही मिशन संचालक के द्वारा उन्हीं पदों पर नई नियुक्तियां निकाल दी है जिससे कि हमें अपूर्ण क्षति हो रही है। समय-समय पर शासन के द्वारा दी जाने वाली 5 प्रतिशत की पदोन्नति भी शून्य हो गई और पुनः जीरो की स्थिति पर लाकर खड़ा कर दिया है, कई कर्मचारी जो लाचार, विकलांग, परित्यागता, विधवा भी हैं जिनके पास इस नौकरी के अलावा दूसरा कोई जरिया नही हैइससे साफ प्रतीत होता है कि हमारे द्वारा सात आठ साल से दी गई सेवा का कोई महत्व नहीं है।

गौरतलब है कि कर्मचारी अपने कार्य में पूर्ण दक्ष हैं जिन्हें शासन के द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया गया है। नए कर्मचारियों की नियुक्ति से कार्य के निष्पादन मैं काफी दिक्कत हो सकती है, कार्य लेने के पूर्व कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी देना होगा। अप्रशिक्षित कर्मचारियों से नवजात शिशु को की मृत्यु दर में बढ़ोतरी भी हो सकती है।

बेमेतरा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने वर्तमान कार्यरत कर्मचारियों को ही नवीन पदों पर समायोजित करने की अनुशंसा की है जिससे कि कार्य प्रभावित ना हो।कार्यमुक्त ना किए जाने को लेकर वर्तमान लगभग 250 कर्मचारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यालय रायपुर भी पहुंचे थे, लेकिन उनकी बात मिशन संचालक से नहीं हो सकी जिससे कर्मचारियों के मन में काफी निराशा का भाव है।शासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है जबकि सरकार बनने से पूर्व नेता गणों ने खुले मंच से अपने जन घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से कहा था कि हमारी सरकार बनने के बाद किसी भी कर्मचारी को ना कार्यमुक्त किया जाएगा बल्कि नियमितीकरण भी किया जाएगा।सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए, मिशन संचालक के इस आदेश से एक हजार से अधिक परिवारों लगभग 5 हजार लोगों के पेट पर लात पड़ रही है।

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