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पं. सुंदरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती हुई धांधली

बिलासपुर।जिले में पं. सुंदरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी में हुई सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति का मामला विवादों में पड़ गया है। यहां 13 पदों पर हुई भर्तियों में 11 पद अनारक्षित वर्ग से भर लिए गए हैं। जबकि आरक्षण रोस्टर के मुताबिक, 6 पद सामान्य, 4 अनुसूचित जनजाति, 2 पिछड़ा वर्ग, 2 अनुसूचित जाति वर्ग से भरे जाने थे। रजिस्ट्रार का कहना है कि उन्होंने इस पर आपत्ति की थी, पर ध्यान नहीं दिया गया। वहीं कुलपति ने रजिस्ट्रार की बात को इसे सिरे से नकार दिया है।

जानकारी के अनुसार राज्य शासन ने वर्ष 2008 में यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के 13 पद स्वीकृत किए थे। तब यहां कुलपति प्रो. टीडी शर्मा थे। अपने कार्यकाल के अंतिम साल में उन्होंने भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनकी जगह प्रो. अवधराम चंद्राकर को यहां कुलपति की जिम्मेदारी दी गई।

उन्होंने साल 2014-15 में उसी विज्ञापन को यथावत रखते हुए भर्ती प्रक्रिया शुरू की, लेकिन, पहले ही उन्हें कुलपति पद से हटा दिया गया। फिर नए कुलपति के रूप में डॉ. वंशगोपाल आए। उन्होंने भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर नए सिरे से विज्ञापन जारी किया।

इसमें आरक्षण रोस्टर का पालन किए बिना ही वर्ष 2016 में 11 पदों पर अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी की भर्ती कर दी। इसी तरह एक-एक पदों पर अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार के आवेदक को नियुक्ति दी गई। जबकि अनुसूचित जाति के उम्मीदवार को एक भी पद नहीं दिया गया।

तीन पद रिक्त हुए तब दोबारा शासन से ली अनुमति
जब नियुक्ति की गई, तब बताया गया कि अनुसूचित जाति से एक भी आवेदक नहीं मिले। इसके चलते उस पद को रिक्त रखा गया। भर्ती प्रक्रिया में कॉमर्स विषय के लिए 24 आवेदक आए। लेकिन, यूनिवर्सिटी ने इनमें से एक भी आवेदक को योग्य नहीं पाया। इसके साथ ही अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक का चयन गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में हो गया। इसके चलते तीन पद खाली रह गया। जिस पर नियुक्ति के लिए फिर से शासन से अनुमति ली गई।

इस बार भी आरक्षण रोस्टर को किया दरकिनार
शासन से अनुमति मिलने के बाद तीन पदों पर भर्ती के लिए दिसंबर 2021 में नए सिरे से विज्ञापन जारी किया गया। इसमें भी आरक्षण रोस्टर के नियमों का पालन नहीं किया गया। लिहाजा, आपत्ति जताते हुए अनुसूचित जाति, जनजाति संघ के साथ ही आदिवासी नेता संतकुमार नेताम ने राजभवन और शासन से शिकायत कर दी। लेकिन, उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि, यूनिवर्सिटी ने विज्ञापन में संशोधन करते हुए दो पद अनुसूचित जनजाति को देते हुए संशोधित विज्ञापन जारी किया और एक पद अनारक्षित वर्ग को दे दिया।

रजिस्ट्रार ने की आपत्ति पर ध्यान नहीं दिया
बताया जा रहा है कि इस पूरी नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण नियमों का पालन नहीं देने की जानकारी देते हुए रजिस्ट्रार इंदु अनंत ने कुलपति को पत्र लिखा। इसके साथ ही कार्य परिषद, राजभवन और राज्य शासन को भी पत्र लिखा। लेकिन, किसी ने ध्यान नहीं दिया, तब उन्होंने नियुक्ति से खुद को अलग कर लिया। नियम के अनुसार अकादमिक पदों पर नियुक्ति के लिए कुलपति को विशेषाधिकार है।

अनुसूचित जाति को नहीं मिले एक भी पद
आरक्षण नियम के अनुसार सभी वर्ग को रोस्टर के अनुसार पद देने का प्रावधान है। ओपन यूनिवर्सिटी में अनुसूचित जाति को भर्ती में एक भी पद नहीं दिया गया। इसके बाद भी किसी जिम्मेदार ने इस दिशा में ध्यान नहीं दिया। बुधवार को ओपन यूनिवर्सिटी की कार्य परिषद की बैठक हुई, तब यूनिवर्सिटी के बजट के साथ ही नियुक्ति के बंद लिफाफों पर भी चर्चा हुई। आरक्षण रोस्टर का पालन करने की गई आपत्ति के बाद भी कार्य परिषद ने नियुक्ति का लिफाफा खोल दिया है।

कुलपति ने कहा- रजिस्ट्रार के कहने पर भर्ती

रजिस्ट्रार इंदु अनंत ने बताया कि भर्ती में पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है। लेकिन, आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं हुआ है। इसलिए उन्होंने पूरी नियुक्ति प्रक्रिया से अपने आप को अलग रखा था। उन्होंने आरक्षण रोस्टर गलत होने की जानकारी कुलपति और कार्य परिषद के साथ ही राज्य शासन के उच्च शिक्षा विभाग को भी दी थी। इसके बाद भी कार्य परिषद ने भर्ती का लिफाफा खोल दिया है और चयनित उम्मीदवार को नियुक्ति आदेश जारी करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। वहीं कुलपति डॉ. वंशगोपाल का कहना है कि भर्ती तर्कसंगत है और नियम से हुई है। रजिस्ट्रार सुझाव पर आरक्षण रोस्टर तय कर भर्ती की गई है। इसे जबरदस्ती विवादित बनाया जा रहा है।

हाईकोर्ट में भी लंबित है याचिका
बताया जा रहा है कि ओपन यूनिवर्सिटी में हुई सहायक प्राध्यापकों की भर्ती में अनियमितता को लेकर शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तब चयन से वंचित अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है। हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई लंबित है। हालांकि, कोर्ट ने प्रकरण में किसी तरह का आदेश जारी नहीं किया है।

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