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दुर्ग नगर निगम:– आयुक्त सुमित अग्रवाल पर भेदभाव पूर्ण रवैये का आरोप,थान सिंह यादव को संरक्षण दे रहे…?

दुर्ग// दुर्ग नगर पालिका निगम में राजस्व हानि के गंभीर मामलों में सहायक राजस्व अधिकारी थान सिंह यादव को बचाने का आरोप निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल पर लग रहा है। 2021-22 में पूर्व आयुक्त द्वारा थान सिंह को कार्य मे लापरवाही और राजस्व हानि का दोषी ठहराते हुए ₹80,000 की भरपाई का आदेश दिया गया, किंतु तीन वर्ष बाद भी वसूली नहीं हुई।
   जून 2026 में सेवानिवृत्ति से ठीक पहले निगम को विभागीय जांच, शो-कॉज नोटिस और संपत्ति कुर्की जैसी कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, पर आयुक्त की चुप्पी सवाल खड़ी कर रही।
  अनियमितताओं की लंबी फेहरिस्त, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं
   थान सिंह पर गैर-पंजीकृत संस्था को व्यापारिक जमीन आवंटन, विज्ञापन बोर्ड अनुबंध और अन्य अनियमितताओं की कई शिकायतें हैं, जो छत्तीसगढ़ नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 की धारा 52 एवं 175 का स्पष्ट उल्लंघन हैं।
   अनुत्तरित नोटिसों के बावजूद एक्सपर्टे जांच या वेतन कटौती नहीं की गई, जबकि आयुक्त छोटी-छोटी बातों पर अन्य कर्मचारियों को नोटिस थमाते हैं।
   यह भेदभाव नगरीय प्रशासन विभाग के वसूली SOP का भी उल्लंघन दर्शाता है।
  संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग…?
   आयुक्त को राजस्व वसूली हेतु कुर्की वारंट और शास्ति अधिरोपण का अधिकार है, किंतु थान सिंह को बचाना संवैधानिक कर्तव्य का दुरुपयोग प्रतीत होता है।
   छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 के नियम 9 के तहत पूर्व जांच अनिवार्य है, अन्यथा रिटायरमेंट लाभ रोकना अवैध।
   प्रदेश में सुशासन की बातें हो रही हैं, किंतु दुर्ग निगम में यह ‘चुनिंदा न्याय’ क्यों…?
   क्या थान सिंह का संरक्षण उच्च अधिकारियों के इशारे पर है…?
  जनता की मांग:– त्वरित जांच और पारदर्शिता
  नागरिकों को चाहिए कि नगरीय विकास विभाग या हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज कराएं, जैसा राज्य बनाम बी.पी. तिवारी मामले में हुआ।
  आयुक्त सुमित अग्रवाल से स्पष्टीकरण की मांग तेज हो रही है, क्या यह भेदभाव नीति सुशासन का मजाक उड़ा रही…? निगम को तत्काल वसूली सुनिश्चित करनी चाहिए, वरना जवाबदेही पर सवाल उठेंगे!

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