मध्यप्रदेश से कबीरधाम तक अवैध शराब का काला कारोबार – चिल्फ़ी पुलिस की कार्रवाई ने खोले कई सवाल

कबीरधाम।
जिले में अवैध शराब का कारोबार किसी से छुपा नहीं है। सीमावर्ती इलाकों से मध्यप्रदेश से लाई गई शराब लंबे समय से छत्तीसगढ़ कई जिलों में खपाई जा रही है। मामला चिल्फ़ी थाना क्षेत्र तो इस अवैध धंधे का हॉटस्पॉट बन चुका है। हाल ही में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 40 पेटी (359.280 बल्क लीटर) अवैध शराब ज़ब्त की और आरोपी छोटेलाल धुर्वे पिता शुक्ला सिंह धुर्वे (26 वर्ष, निवासी ग्राम बेंदा) को गिरफ्तार कर धारा 34(2) छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम, 1915 के तहत न्यायालय में पेश किया।
लेकिन इस कार्रवाई के बाद अब जिले में शराब माफ़ियाओं और सिस्टम की मिलीभगत पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
❓ बड़े सवाल जो जवाब माँगते हैं
1️⃣ अवैध कारोबार लंबे समय से क्यों फल-फूल रहा था?
स्थानीय लोग कहते हैं कि अवैध शराब बिक्री कोई नई बात नहीं है। यह धंधा सालों से चल रहा है, लेकिन बड़ी कार्रवाई अभी क्यों हुई? क्या पुलिस ने अब तक आँख मूँद रखी थी या बड़े नेटवर्क तक पहुँचने से बचती रही?
2️⃣ चेक पोस्ट से इतनी शराब कैसे पार हुई?
मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ में आने वाले हर वाहन की चेक पोस्ट पर जाँच होती है। इसके बावजूद 40 पेटी शराब अंदर आ गई, यह कैसे संभव है? क्या यह सीधा-सीधा सिस्टम की मिलीभगत का मामला है?
3️⃣ क्यों सिर्फ धारा 34(2) ही लगाई गई?
इतनी बड़ी मात्रा में शराब बरामद होने के बावजूद सिर्फ एक ही धारा (आबकारी अधिनियम) लगाना सवाल खड़े करता है।
👉 क्या पुलिस केवल काग़ज़ी कार्रवाई कर रही है?
👉 मुख्य सरगना कब पकड़ा जाएगा?
👉 संगठित अपराध और षड्यंत्र की धाराएं क्यों नहीं जोड़ी गईं?
4️⃣ आरोपी का कॉल डिटेल क्यों नहीं खंगाला गया?
छोटेलाल धुर्वे जैसा आरोपी केवल एक मोहरा है। असली सरगना तक पहुँचने के लिए आरोपी का कॉल डिटेल (CDR) खंगालना ज़रूरी है। अब तक इस दिशा में कोई ठोस कार्यवाही क्यों नही?
5️⃣ चेक पोस्ट और पुलिस की मिलीभगत?
बिना मिलीभगत इतनी बड़ी मात्रा में शराब राज्य की सीमा पार नहीं कर सकती। सवाल उठता है कि क्या चेक पोस्ट कर्मचारी और पुलिस तंत्र इस काले कारोबार में शामिल हैं? अगर हाँ, तो क्या उन पर भी कार्रवाई होगी या मामला हमेशा की तरह छोटे आरोपियों पर ही टिकेगा?
📞 थाना प्रभारी का बयान
जब इस पूरे मामले पर जानकारी लेने के लिए थाना प्रभारी उमाशंकर राठौर से मोबाइल पर संपर्क किया गया तो उन्होंने साफ कहा –
“मुझे बाइट देने का पावर नहीं है, इस संबंध में एसडीओपी से बात कीजिए।”
इतने संवेदनशील मामले पर थाना प्रभारी का खुलकर जवाब न देना भी कई सवाल खड़े करता है।
ग्रामवासियों ने कहा है–
स्थानीय लोग : “यह धंधा वर्षों से चल रहा है। छोटे-छोटे आरोपियों को पकड़कर दिखावा किया जाता है, लेकिन असली सरगना आज भी बाहर है।”
क़ानूनी तौर पर : “इतनी मात्रा में शराब मिलने पर संगठित अपराध की धाराएं भी जोड़नी चाहिए। सिर्फ आबकारी अधिनियम में मामला दर्ज करना कमजोर कार्रवाई मानी जाएगी।”
अब कार्रवाई सिर्फ वाहवाही नहीं, ठोस होनी चाहिए
चिल्फ़ी पुलिस की कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन यह केवल बर्फ़ के पहाड़ की नोक है। जब तक – असली सरगना को बेनकाब नहीं किया जाता,चेक पोस्ट कर्मचारियों और पुलिस की मिलीभगत की जाँच नहीं होती,आरोपी का कॉल डिटेल और सप्लाई चेन उजागर नहीं होता, तब तक यह कार्रवाई सिर्फ वाहवाही बटोरने का एक दिखावा ही मानी जाएगी।
कबीरधाम जिले में नशे का यह काला कारोबार लगातार युवाओं को बर्बादी की ओर धकेल रहा है। अब जनता यही पूछ रही है
👉 क्या पुलिस सच में पूरे नेटवर्क को तोड़ेगी या फिर हर बार की तरह सिर्फ छोटे आरोपियों तक ही मामला सीमित रह जाएगा?