“नर्मदा से भोरमदेव – कांवड़ यात्रा के चौथे दिन उमड़ा श्रद्धा का सैलाब”

बोल बम और हर हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा अंचल – कांवड़ यात्रा के चौथे दिन पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने गौरकांपा से मोहतरा तक तय की पदयात्रा, पुष्पवर्षा से हुआ भव्य स्वागत
कबीरधाम, छत्तीसगढ़ –
माँ नर्मदा मंदिर, अमरकंटक से भोरमदेव महादेव मंदिर तक 151 किलोमीटर लंबी कांवड़ यात्रा अपने चौथे दिन में गौरकांपा से मोहतरा तक पूरे धार्मिक उत्साह और भक्ति भाव के साथ आगे बढ़ी। इस पावन यात्रा का नेतृत्व पंडरिया विधानसभा की विधायक भावना बोहरा कर रही हैं, जिनके साथ 300 से अधिक कांवड़ यात्री प्रदेश की सुख-शांति और समृद्धि की कामना के साथ निरंतर पदयात्रा कर रहे हैं।
गौरकांपा से मोहतरा तक शिवभक्तों का उत्साह चरम पर
चौथे दिन की शुरुआत गौरकांपा स्थित शनिदेव मंदिर में विधिवत पूजन-अर्चन से हुई। इसके पश्चात कांवड़ यात्रा ने करपीकला, बम्हनदेई होते हुए मोहतरा तक की यात्रा पूरी की। इस दौरान इन सभी स्थलों पर भाजपा के पदाधिकारियों, महिला मोर्चा, युवा मोर्चा, सामाजिक संगठनों, हिन्दू संगठनों तथा स्थानीय नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर यात्रा का भव्य स्वागत किया।
जहां-जहां से यह यात्रा गुजरी, वहां का वातावरण “बोल बम” और “हर हर महादेव” के जयघोष से गूंज उठा। तेज बारिश और जंगल के दुर्गम रास्तों के बावजूद शिवभक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ। भीगे वस्त्रों और ठंडी हवाओं के बीच श्रद्धालु पूरी ऊर्जा से पदयात्रा में भाग लेते रहे।
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पत्थलगांव विधायक गोमती साय हुईं शामिल
इस पावन यात्रा में आज पत्थलगांव की विधायक श्रीमती गोमती साय भी विशेष रूप से शामिल हुईं। उन्होंने यात्रा में सहभागिता निभाते हुए पंडरिया विधायक भावना बोहरा और सभी कांवड़ यात्रियों का स्वागत किया तथा सभी को मंगलमय यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं।



भावना बोहरा ने व्यक्त किया आभार और कृतज्ञता
यात्रा के चौथे दिन की समाप्ति पर पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने अपने उद्बोधन में कहा—
> “यह यात्रा माँ नर्मदा और भगवान भोलेनाथ के प्रति मेरी कृतज्ञता का विनम्र प्रयास है। हमारा उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था का पालन ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों को हमारी सनातन संस्कृति, परंपरा और रीति-रिवाजों से परिचित कराना भी है। इस पदयात्रा के माध्यम से मैं पूरे छत्तीसगढ़ की सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना कर रही हूँ।”
उन्होंने सभी शिवभक्तों, पदयात्रियों और स्वागत करने वाले क्षेत्रवासियों का आभार प्रकट करते हुए कहा—



