जमीन खरीद-बिक्री होगी आसान : 117 साल पुराने नियम होंगे खत्म, ऑनलाइन रजिस्ट्री की तैयारी

अब प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन घर बैठे आप ऑनलाइन करा सकते हैं. केंद्र सरकार ने एक नए विधेयक का मसौदा तैयार किया है, जिसमें संपत्ति के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करने का प्रस्ताव है. इसमें विक्रय अनुबंध, पावर ऑफ अटॉर्नी और अन्य दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन को भी अनिवार्य किया गया है. यह 117 साल पुराने रजिस्ट्रेशन एक्ट की जगह लेगा. इसके तहत संपत्ति का पंजीकरण ऑनलाइन होगा और जरूरी दस्तावेजों को डिजिटल करना होगा. इसका मकसद रजिस्ट्रेशन को तेज, पारदर्शी और लोगों के लिए आसान बनाना है. यह बिल ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग ने तैयार किया है. अब 25 जून तक लोग इसके बारे में अपनी राय दे सकते हैं. आइए विस्तार से जानते हैं कि ये नया सिस्टम क्या है, कैसे काम करेगा और आम आदमी की ज़िंदगी पर इसका क्या असर पड़ेगा।
नया रजिस्ट्रेशन सिस्टम: क्या है इसका मकसद?
सरकार का मकसद है ज़मीन संबंधी लेनदेन को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाना ताकि न तो दलालों का रोल रहे और न ही फर्जीवाड़ा हो सके।
- 1908 का पुराना कानून, Registration Act, अब अप्रासंगिक हो गया था।
- नए सिस्टम से दस्तावेजों की जाँच, मालिकाना हक की पुष्टि, और ट्रांजैक्शन ट्रैकिंग एक क्लिक पर होगी।
- इससे सरकारी रेकॉर्ड और आम नागरिक दोनों के बीच विश्वास बढ़ेगा।
पुराने कानून की कमियाँ क्या थीं?
1908 के रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्ट्री की प्रक्रिया में कई खामियाँ थीं, जिनका असर आम लोगों को भुगतना पड़ता था।
- ज़मीन का असली मालिक कौन है, यह पता करना मुश्किल होता था।
- एक ही ज़मीन को दो-दो लोगों को बेचने के मामले आम थे।
- सरकारी दफ्तरों में घूस, दलाली और देरी के कारण काम महीनों अटका रहता था।
- रजिस्ट्री और म्यूटेशन दो अलग-अलग प्रक्रियाएं थीं जिससे भ्रम और विवाद पैदा होते थे।
- व्यक्तिगत अनुभव:
मेरे एक जानने वाले ने दो साल पहले गाँव में ज़मीन खरीदी थी। पैसे देने के बावजूद रजिस्ट्री में देरी हुई और बाद में पता चला कि उसी ज़मीन पर पहले से केस चल रहा है। अगर ये नया सिस्टम तब होता, तो ये झंझट नहीं झेलना पड़ता।नया सिस्टम कैसे करेगा आपकी ज़िंदगी आसान?
सरल शब्दों में कहें तो ये सिस्टम सब कुछ डिजिटल कर देगा। कोई फाइल घसीटना नहीं, कोई लाइन में लगना नहीं। एक ही पोर्टल से सारा काम होगा।
मुख्य फीचर्स:
- डिजिटल सिग्नेचर और बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन
- जमीन के नक्शे, खसरा-खतौनी, मालिकाना हक सब कुछ एक ही जगह
- ऑनलाइन भुगतान और त्वरित रसीद
- म्यूटेशन और रजिस्ट्री की प्रक्रिया एक साथ होगी
फायदे:
- भ्रष्टाचार में भारी कमी आएगी
- फर्जी दस्तावेजों की पहचान तुरंत होगी
- रियल एस्टेट में पारदर्शिता बढ़ेगी
- कोर्ट-कचहरी के चक्कर कम होंगे
किन लोगों को सबसे ज़्यादा फायदा होगा?
- किसान: जमीन का रिकॉर्ड साफ होगा, जिससे खेती के लिए लोन लेना आसान होगा।
- प्रवासी भारतीय (NRI): भारत में मौजूद न होकर भी वो अपनी संपत्ति का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन करवा सकेंगे।
- नवजवान और नौकरीपेशा लोग: घर खरीदने की प्रक्रिया आसान और सुरक्षित हो जाएगी।
- महिलाएं: नामांतरण और मालिकाना हक को लेकर अब ज्यादा पारदर्शिता आएगी।
इस बदलाव के लिए आपको क्या करना होगा?
- अगर आपके पास ज़मीन है या आप ज़मीन खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको निम्न बातों का ध्यान रखना होगा:
अपने ज़मीन के दस्तावेजों को डिजिटल फॉर्म में स्कैन करा लें।
- जमीन की खसरा-खतौनी जानकारी को सत्यापित करें।
- नया सिस्टम लागू होते ही खुद को पोर्टल पर रजिस्टर करें।
- पुराने विवादों या गलत रेकॉर्ड को अभी ही दुरुस्त करा लें।
जरूरी कागज़ात:
- आधार कार्ड
- PAN कार्ड
- जमीन के मौजूदा दस्तावेज
- बिजली या पानी का बिल (पते का प्रमाण)
- पुरानी रजिस्ट्री या पट्टा
क्यों यह बदलाव ज़रूरी था?
- देश में डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस की दिशा में यह बड़ा कदम है। पुराने और जटिल कानून को हटाकर नया, सरल और पारदर्शी सिस्टम लाना जरूरी था ताकि आम आदमी की जिंदगी आसान हो सके। यह सिर्फ एक कानूनी सुधार नहीं, बल्कि समाजिक और आर्थिक बदलाव की शुरुआत है।