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झोलछाप डॉक्टर पर हुआ केस दर्ज़,25 साल से चल रहा है बिना डिग्री के क्लीनिक

बिलासपुर। जिले के मस्तूरी थाना क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है आरोपी डॉक्टर पुलिस गिरफ्त से बाहर है। दरअसल, उसने कुछ दिन पहले कॉलेज के सुपरवाजर को कमर में दर्द होने पर इंजेक्शन लगाया, तब महज एक घंटे के भीतर उसकी मौत हो गई। पुलिस ने अब जांच के बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज किया है। खास बात यह है कि बंगाली डॉक्टर 25 साल से थाने के पास बिना डिग्री लिए क्लिनिक चला रहा था। फिर भी किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की।

दुर्ग जिले के साजा क्षेत्र के देउरगांव में रहने वाले मुरली यादव (27 साल) संदीपनी नर्सिंग कालेज में सुपरवाइजर थे। बीते सोमवार की सुबह उनके कमर में दर्द हुआ, तब इलाज के लिए वे मस्तूरी में रहने वाले झोलाछाप प्रीतेश कुमार मंडल के पास उपचार कराने गए। डॉक्टर ने उनकी कमर में नेरोबियान इंजेक्शन लगा दिया। इंजेक्शन लगवाने के बाद वे अपने घर लौट गए। घर पहुंचते ही उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। उन्होंने अपने साथियों को इसकी जानकारी दी। तब उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाने की तैयारी कर रहे थे। इस बीच उनकी मौत हो गई।

जांच के बाद दर्ज किया केस
मस्तूरी TI प्रकाश कांत ने बताया कि कॉलेज सुपरवाइजर की मौत के बाद पुलिस को इस घटना की सूचना दी गई। पुलिस ने परिजन को बुलाया और शव का पोस्टमार्टम कराया। इससे पहले ही झोलाछाप डॉक्टर फरार हो गया था। जांच के दौरान पुलिस ने पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर की राय ली है। जिसमें इलाज में लापरवाही व गलत इंजेक्शन लगाने की बात सामने आई है। जिसके आधार पर आरोपी डॉक्टर के खिलाफ धारा 304 के तहत केस दर्ज किया गया है।

25 साल से बिना डिग्री की चला रहा था क्लिनिक
बंगाली डॉ. प्रीतेश कुमार मंडल कितना पढ़ा है और उसके पास क्या डिग्री है। पुलिस को यह भी पता नहीं है। मरीज की मौत होने के बाद वह अपनी पत्नी को छोड़कर बेटे को लेकर फरार हो गया है। पुलिस को यह भी नहीं पता है कि वह पश्चिम बंगाल में कहां रहता है और ठिकाना कहा है। पुलिस अभी तक उसके क्लिनिक की भी जांच नहीं कर पाई है। बताया जा रहा है कि वह 25 साल से मस्तूरी में क्लिनिक चला रहा था।

परिजन ने डॉक्टर पर गलत इलाज करने के लगाए थे आरोप
मस्तूरी थाना प्रभारी प्रकाश कांत ने बताया कि नर्सिंग कालेज कर्मी मुरली यादव यहां कालेज परिसर में ही रहता था। उसका परिवार गांव में रहता है। परिजनों ने अपने बयान में डॉक्टर पर गलत उपचार करने और मरीज की मौत होने के आरोप लगाए थे।

बिना बोर्ड लगाए घर में ही चला रहा था क्लिनिक
पुलिस ने बताया कि आरोपी डॉक्टर अपने घर के सामने हिस्से में कमरा बनाया था, जहां वह बिना बोर्ड लगाए ही क्लिनिक चला रहा था। आसपास के लोगों ने बताया कि पहले उसके घर के सामने बंगाली डॉक्टर दवाखाना का बोर्ड लगा था। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग ने झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अभियान चलाया, तब उसने अपना बोर्ड हटा दिया था। इसके बाद से वह बिना बोर्ड लगाए ही क्लिनिक चला रहा था।

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