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“शिकारी शिकंजे में: संरक्षित प्रजातियों के शिकार पर वन विभाग का प्रहार”

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में वन्यजीव शिकार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
ताजा मामला बागबाहरा वनपरिक्षेत्र के खल्लारी सर्किल अंतर्गत संरक्षित वन क्षेत्र का है, जहां दो दिन पहले अवैध रूप से बिछाए गए करंट प्रवाहित तार में फंसकर एक तेंदुआ और एक वन भैंसे की दर्दनाक मौत हो गई।

वन विभाग ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की है। दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि एक अन्य आरोपी अभी फरार है, जिसकी तलाश जारी है।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह घटना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत गंभीर अपराध की श्रेणी में आती है, और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना न केवल जैव विविधता को नुकसान पहुंचाने वाली है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किस प्रकार जंगलों में मानव दखल और लालच के कारण वन्यजीव असुरक्षित होते जा रहे हैं।

शिकार के बाद की गई थी जंगल में दावत

बता दें कि वन विभाग की जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपियों ने इससे पहले एक जंगली सुअर का भी शिकार कर उसे पकाकर खा लिया था। विभाग ने जब छापेमारी की तो आरोपियों के पास से पकाया हुआ सुअर का मांस, बिजली के तार, कांच की शीशी, लोहे की कुल्हाड़ी, लकड़ी की खूंटी, शाही जानवर का पंख, खरगोश और पक्षियों को पकड़ने के फंदे बरामद किए गए।

2 शिकारियों को किया गिरफ्तार, तीसरे की तलाश जारी

बागबाहरा वन परिक्षेत्र के रेंजर लोकनाथ ध्रुव ने जानकारी देते हुए बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में मुकेश रावत (33 वर्ष) ग्राम खल्लारी निवासी और मनोहर यादव (50 वर्ष) ग्राम ओंकारबंद निवासी शामिल हैं। तीसरे आरोपी की पहचान कर ली गई है और उसकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।

वन विभाग ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। साथ ही, इस मामले में वन्यजीव संरक्षण को लेकर स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का भी प्रयास किया जा रहा है।

स्थानीय लोगों में आक्रोश

लगातार हो रही वन्यजीव मौतों से स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश है। उन्होंने दोषियों को सख्त सजा देने और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की है।

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