ये तो टाईटल है, पिक्चर अभी बाकी है.. “धर्मनगरी में खुलेआम ज़मीन का काला बाज़ार” अवैध प्लॉटिंग पर खामोश नगर निवेश विभाग, रेरा अधिनियम की उड़ रही धज्जियां!“कौन है सरपरस्त? जल्द होगा खुलासा….

“रेरा के नियम ताक पर, कवर्धा में खुलेआम प्लॉटों की खरीद-फरोख्त”
जिले में भूमाफियाओं का आतंक इतना गहराता जा रहा है कि अब उनकी करोड़ों की अवैध संपत्ति पर राजनीति भी होने लगी है। अवैध प्लॉटिंग और जमीन के काले धंधे से बनाई गई संपत्तियों पर नेताओं का संरक्षण साफ झलकने लगा है। नतीजा यह है कि माफिया खुलेआम खेल खेल रहे हैं और जिम्मेदार विभाग आंख मूंदे बैठे हैं।
राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रहा काला कारोबार
सूत्रों का कहना है कि कई भूमाफिया सीधे-सीधे कुछ नेताओं से जुड़े हैं। राजनीति की आड़ में न सिर्फ उनकी अवैध कमाई सुरक्षित हो रही है, बल्कि वे बेखौफ होकर आम जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल रहे हैं। ज़मीन की कालाबाज़ारी का यह खेल इतना संगठित हो चुका है कि बिना सियासी मदद के संभव ही नहीं।

विभागीय चुप्पी ने भूमाफियाओं का हौसला और बुलंद कर दिया है।
कवर्धा। जिले में अवैध प्लॉटिंग का कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है और नगर तथा ग्राम निवेश विभाग आंख मूंदे बैठा है। ज़मीनी हकीकत यह है कि भूमाफिया कृषि भूमि का टुकड़ों-टुकड़ों में उपविभाजन कर रजिस्ट्री कर रहे हैं, करोड़ों की जमाखोरी हो रही है, लेकिन विभाग ने पिछले दो सालों में एक भी कार्रवाई नहीं की। सवाल यह है कि जब रेरा अधिनियम में सख्त प्रावधान मौजूद हैं, तो फिर जिम्मेदार अफसर चुप क्यों बैठे हैं? भूमाफियों का हौसला बुलंद जिले के चारों दिशाओं में अवैध प्लाटिंग जोरो पर चल रहा है।
विभाग की नाकामी: दो साल में शून्य कार्रवाई
जिले में अवैध कॉलोनाइजर प्लॉट काटकर लोगों की गाढ़ी कमाई हड़प रहे हैं। नियमों के अनुसार विभाग को चाहिए कि अवैध कॉलोनियों के खसरे चिन्हित कर रजिस्ट्रार कार्यालय को पत्र लिखे ताकि रजिस्ट्री रोकी जा सके। मगर हकीकत यह है कि अब तक ऐसा एक भी मामला विभाग से रजिस्ट्रार तक नहीं पहुँचा। यह खामोशी भूमाफियाओं को खुली छूट देने जैसी है।
RERA रेरा अधिनियम की धज्जियां
रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 यानी RERA स्पष्ट कहता है कि –
बिना रेरा पंजीकरण कोई भी प्लॉट बेचना, विज्ञापन करना या कॉलोनी विकसित करना अपराध है।
नियम तोड़ने पर डेवलपर पर प्रोजेक्ट लागत का 5% तक जुर्माना, या ₹10 लाख तक का दंड लगाया जा सकता है।
गंभीर उल्लंघन की स्थिति में तीन साल तक की जेल की सजा का भी प्रावधान है।
इसके बावजूद कवर्धा में दर्जनों कॉलोनियाँ बिना पंजीकरण काटी जा रही हैं और विभागीय अधिकारी कार्रवाई करने की बजाय खामोश तमाशबीन बने हुए हैं।
जनता के साथ धोखा, राजस्व को चूना
अवैध सौदों से न सिर्फ भोली-भाली जनता ठगी जा रही है बल्कि शासन को भी करोड़ों का राजस्व नुकसान हो रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि विभागीय मिलीभगत या लापरवाही के बिना इतनी बड़ी गड़बड़ी संभव ही नहीं।
एसी कमरों में अफसर, मैदान छोड़ भूमाफिया हावी
जनता का आरोप है कि नगर निवेश विभाग के साहब दफ्तर में एसी कमरों में आराम कर रहे हैं, जबकि भूमाफिया गांव-गांव जाकर नकली कॉलोनियाँ खड़ी कर रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में अवैध प्लॉटिंग जिले की सबसे बड़ी जमीन घोटाला कहानी बन सकती है।
जवाबदेही तय करने की मांग
जनता और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि –
1. नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के अफसरों की जिम्मेदारी तय की जाए।
2. अवैध कॉलोनाइजरों पर रेरा अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज हो।
3. जिला प्रशासन व राजस्व विभाग तत्काल जांच कर गलत रजिस्ट्री निरस्त करे।
4. शासन को हुए राजस्व नुकसान की भरपाई भूमाफियाओं से कराई जाए।
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अब सवाल सिर्फ इतना है कि –
क्या शासन-प्रशासन आंखें खोलेगा या फिर अवैध प्लॉटिंग का यह काला कारोबार यूं ही चलता रहेगा?



