कबीरधाम विशेषकवर्धा

वानंचाल क्षेत्र की आंगनवाड़ी केन्द्रो का दुर्दशा बद से बत्तर, नियमित नहीं खुलता केंद्र

आंगनवाड़ी केंद्र के लिए दस किमी का पैदल सफर , नियमित नहीं खुलता केंद्र 

कवर्धा , प्रारंभिक बचपन, मानव विकास का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिसमें बच्चों के लिए पर्याप्त सहायता, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा की आवश्यकता होती है। पहले पाँच वर्षों के दौरान, बच्चे तेजी से विकास करते हैं, संज्ञानात्मक विकास के लिए आवश्यक तंत्रिका मार्ग बनाते हैं। यह अवधि उनके शारीरिक स्वास्थ्य को भी आकार देती है, जो पोषण और पर्यावरण जैसे कारकों से प्रभावित होती है। हालाँकि, बच्चे नकारात्मक प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं, खासकर वंचित पृष्ठभूमि के बच्चे। इसके लिए आंगनवाड़ी शुरू किया, जिसका उद्देश्य बाल और मातृ देखभाल प्रदान करना और भूख और कुपोषण से लड़ना था। वर्तमान में, कबीरधाम जिले में लगभग सत्रह सौ आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं लेकिन विभागीय अधिकारियों की गैर जिम्मेदार रवैया के चलते समय पर केंद्र नहीं खुलते । कुछ जगहों पर तो कार्यकर्ता मुख्यालय में निवास करने के बजाए अन्य गांवों से आना जाना करते है।

दस किलोमीटर दूर पैदल चलकर केंद्र खोलती हैं कार्यकर्ता

कबीरधाम जिले के एकीकृत बाल विकास परियोजना तरेगांव जंगल के अधीनस्थ आंगनवाड़ी केंद्र कुरलूपानी के कार्यकर्ता अपने मुख्यालय में निवास करने के बजाए पांच किलोमीटर दूर बोदा में निवास करती हैं। रास्ता भी जंगल का है और आवागमन के लिए सड़क नहीं है। बरसात के दिनों में नदी नाले में बाढ़ भी आ जाता है । जिसके चलते आंगनवाड़ी केंद्र समय पर नहीं खुलता है। पांच किलोमीटर दूर आना और पांच किलोमीटर जाना मतलब प्रतिदिन दस किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता हैं । ऐसे स्थिति में नियमित आंगनवाड़ी केंद्र खुल पाना संभव नहीं है। 

बच्चो के अधिकार का हो रहा हैं हनन

आंगनवाड़ी केंद्र में प्री नर्सरी शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों को साल में 300 दिन भोजन देने प्रावधान हैं । जिसमें बच्चो के लिए अलग अलग दिन के लिए अलग अलग मीनू तैयार किया गया है और प्रतिदिन अलग अलग नाश्ता और भोजन दिए जाने का प्रावधान है लेकिन कुरलूपानी के आंगनवाड़ी केंद्र ही नियमित रूप से नहीं खुलता है तो बच्चो को भोजन के अधिकार से वंचित होना पड़ता हैं। कुरलूपानी वन ग्राम बीहड़ वनांचल क्षेत्र में आता है । जहां मूलभूत सुविधाओं का आभाव बना हुआ है।

जिम्मेदार झांकने तक नहीं जाते 

आंगनवाड़ी केंद्र नियमित रूप से संचालित करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका की नियुक्ति किया जाता हैं। उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों का मूल्यांकन सत्यापन और निरीक्षण करने के लिए सेक्टर पर्यवेक्षक, परियोजना अधिकारी के अलावा अन्य सक्षम अधिकारी होते हैं। कुरलूपानी के आंगनवाड़ी केंद्र का निरीक्षण करने के लिए दस किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा है। ऐसे स्थिति में कोई भी जिम्मेदार वहां जाना पसंद नहीं करते । जिसका भरपूर लाभ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उठा रही है । मिली जानकारी अनुसार मासिक बैठक में पंजियों को मांगकर निरीक्षण टिप लिख दिया जाता है। 

कुरलूपानी आंगनवाड़ी केंद्र में सहायिका नहीं 

मिली जानकारी अनुसार कुरलूपानी आंगनवाड़ी केंद्र में सहायिका की नियुक्ति अबतक नहीं हुई है। सारी कार्य कार्यकर्ता को ही करना पड़ता हैं । ऐसे स्थिति में बच्चों बुलाकर और उन्हें भोजन करा के छोड़ दिया जाता है । उन्हें अन्य ज्ञान देने के समय का आभाव हो जाता हैं । इसकी जानकारी विभाग के अधिकारी और उनसे जुड़े सभी कर्मचारियों को भी है लेकिन किसी ने बच्चो के हित और उनके मौलिक अधिकार के बारे में सुध नहीं ले रहे हैं।

पोषण आहार में फर्जी अकड़ा की संभावना

आंगनवाड़ी केंद्र संचालन और वहां पर होने वाले सभी गतिविधियों का आनलाइन मॉनिटरिंग किया जाता हैं लेकिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता खुद नियमित रूप से केंद्र का संचालन नहीं कर सकते तो वहां संचालित गतिविधियां कैसे नियमित होगा । उक्त केंद्र में मोबाइल नेटवर्क का भी समस्या बनी रहती हैं। जिससे साफ साबित होता हैं कि सारी आंकड़े फर्जी तरीके से अपलोड किया जाता होगा । जो जांच का विषय है ।

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