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जानिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 द्वारा दिए गए व्यक्तिगत अधिकारों के बारे में!

तहलका न्यूज रायपुर// भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के रूप में संवैधानिक उपचारों का अधिकार न्याय जवाब देही और व्यक्तिगत अधिकारों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। यह अनुच्छेद नागरिकों को अधिकारों के उल्लंघन होने पर निवारण की मांग करने पर अधिकार प्रदान करता है जो लोकतंत्र में स्वतंत्रता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

संवैधानिक उपचारों का अर्थ:–यह किसी भी देश के संविधान द्वारा प्रदान किए गए कानूनी तंत्रों को संदर्भित करते हैं जो व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा और उन्हें लागू करने के लिए होते हैं, यह उपचार नागरिकों को न्यायपालिका से राहत मांगने का अधिकार देते हैं जब उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन राज्य या किसी अन्य निकाय द्वारा किया जाता है, यह लोकतांत्रिक समाज के भीतर नागरिकों के अधिकारों एवं स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में कार्यकरता है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 पीड़ित नागरिक के मौलिक अधिकारों के परावर्तन के लिए संवैधानिक उपचारों का अधिकार प्रदान करता है, इस संबंध में कर प्रावधान है–

  1. मौलिक अधिकारों के परावर्तन के लिए सर्वोच्च न्यायालय में जाने का अधिकार सुनिश्चित किया गया है।
  2. उच्चतम न्यायालय को किसी भी मौलिक अधिकार के परावर्तन के लिए निर्देश आदेश या रिट जारी करने की शक्ति होगी।
  3. संसद सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों पर प्रतिकूल रूप से प्रभावित किए बिना किसी अन्य न्यायालय को सभी प्रकार के निर्देश आदेश और रेट जारी करने का अधिकार दे सकती है। यहां किसी अन्य न्यायालय वाक्यांश में उच्च न्यायालय शामिल नहीं है क्योंकि अनुच्छेद 226 के तहत पहले ही उच्च न्यायालय को यह शक्ति प्राप्त है।
  4. उच्चतम न्यायालय में जाने के अधिकार को निलंबित नहीं किया जाएगा, केवल एक अपवाद है जब राष्ट्रपति आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति मौलिक अधिकारों के परावर्तन के लिए किसी भी न्यायालय में जाने के अधिकार को निलंबित दे।

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