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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए 87 विपक्षी सांसदों ने किया हस्ताक्षर

तहलका न्यूज रायगढ़// राज्यसभा के सभापति और विपक्षी सदस्यों के बीच में अनबन शुक्रवार को टकराव में बदल गई। नौबत इस हद तक पहुंच गई कि विपक्षी दलों ने सभापति जगदीप धनखड़ को उनके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है। यदि ऐसा प्रस्ताव औपचारिक रूप से आता है तो संसदीय इतिहास में पहली बार होगा कि उपराष्ट्रपति को हटाने की पहल विपक्ष कर रहा होगा। राज्यसभा में शुक्रवार को विपक्षी सदस्यों का गुस्सा चरम पर आ गया। इसके बाद विपक्षी दलों के 87 सदस्यों ने आनन-फानन में उपराष्ट्रपति को हटाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर दिए। कांग्रेस के एक राज्यसभा सदस्य के मुताबिक, ‘प्रस्ताव पर कांग्रेस के 4-5 सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। इंडिया गठबंधन के राज्यसभा में 87 सदस्य है। संभव है कि गठबंधन के बाद सदस्यों ने भी हस्ताक्षर किए हैं। बताया जाता है कि दो दिन पहले सदन के नेता जेपी नड्डा को भी अनौपचारिक रूप से बता दिया गया था कि विपक्ष धनखड़ को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है।

उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया क्या है?

उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उन्हें हटाने के लिए राज्यसभा में बहुमत से प्रस्ताव पारित कराना होगा, प्रस्ताव लाने से 14 दिन पहले नोटिस भी देना होगा।

• राज्यसभा में दलीय स्थिति क्या है?

राज्यसभा में अभी 225 सदस्य हैं। भाजपा के 86 सदस्यों समेत एनडीए के 101 सांसद हैं। इंडिया गठबंधन के 87 सदस्य हैं। ऐसे में वाईएसआरसीपी के 11, बीजद के 8 और अन्नाद्रमुक के 4 सदस्यों को मिलकर 23 सदस्यों की भूमिका (कुल 110) अहम होगी। हालांकि 3 सितंबर को राज्यसभा की 12 सीटों के चुनाव हैं। कम से कम 10 सीटें भाजपा को मिलेंगी। यानी उसकी सीटें 96 हो जाएगी और एनडीए की सीटें 111 हो जाएंगी। 12 सदस्य बढ़ने से राज्यसभा में 237 सदस्य हो जाएंगे और बहुमत 119 पर होगा। अब राज्यसभा की अगली बैठक इस चुनाव के बाद ही होगी। ऐसे में अन्य पार्टियों बीआरएस (4), बीएसी (1), एमडीएमके (1) और अन्य स्वतंत्र सदस्य साथ देकर या अनुपस्थित रहकर वोटिंग प्रभावित कर सकते हैं।

• प्रस्ताव लोकसभा में पारित कराना होगा?

लोकसभा में भी प्रस्ताव पारित कराना जरूरी होगा, क्योंकि राज्यसभा का सभापति उपराष्ट्रपति को पदेन भूमिका होती है। लोकसभा में एनडीए के 293 और इंडिया के 236 सदस्य हैं। बहुमत 272 पर है। विपक्ष अन्य 14 सदस्यों को साधे तो भी प्रस्ताव पारित होना मुश्किल होगा।

• कार्यवाही के दौरान सभापति चेयर पर होंगे?

जब प्रस्ताव पेश होगा और चर्चा होगी, तब सामान्य न्याय सिद्धांत के मुताबिक सभापति राज्यसभा पीठ पर नहीं बैठेंगे।

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