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कांगेर के बाद अब नारायणपुर में दिखा विलुप्तप्राय श्रेणी का माउस डियर का जोड़ा

तहलका न्यूज जगदलपुर// बस्तर के जंगलों में विलुप्त प्राय श्रेणी में रखे गए माउस डियर नजर आ रहे हैं। कांकेर घाटी नेशनल पार्क के बाद अब माउस डियर का एक जोड़ा नारायणपुर के जंगलों में दिखा है। अफसरों ने उस स्थान को संरक्षित करने का प्रयास शुरू कर दिया है।सीसीएफ वाइल्ड लाइफ आरसी दुग्गा ने बताया कि कुछ दिनों पहले नारायणपुर के अंदरूनी इलाके में माउस डियर का जोड़ा दिखा था। इसे सुरक्षित रखने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। इलाके को संरक्षित कर विशेष तौर पर माउस डियर के लिए प्रतिकूल माहौल बनाने का काम किया जा रहा है। माउस डियर विलुतप्राय श्रेणी का जानवर है और पूरे देश में संरक्षित किया जा रहा है। गौरतलब है कि पहली बार बस्तर में माउस डियर की मौजूदगी की पुष्टि कांगेर घाटी नेशनल पार्क से हुई थी। इसे वहां संरक्षित किया जा रहा है। इसके बाद अब नारायणपुर में भी इसके नजर आने के बाद उम्मीद बढ़ गई है कि बस्तर में और भी स्थानों पर माउस डियर मौजूद हैं।

चूहे, सुअर और हिरण के रूप और आकार का मिश्रण है डियर

हिरणों की 12 प्रजातियों में से माउस डियर विश्व में सबसे छोटे हिरण समूह में से एक है। भारतीय माउस डियर का रहवास विशेष रूप से घनी झाड़ियों व नमी वाले जंगलों में होता है। माउस डियर में चूहे, सुअर और हिरण के रूप और आकार का मिश्रण दिखाई देता है और बिना सींग वाले हिरण का एकमात्र समूह है। इसके शर्मीले व्यवहार और रात की गतिविधि के कारण इनमें विशेष रिसर्च नहीं हुआ है। मुख्य रूप से दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के ऊष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वनों में माउस डियर की उपस्थिति दर्ज हुई है।

45 सेमी लंबा और 12 इंच ऊंचा होता है ये हिरण

माउस डियर 45 सेमी (18 इंच) की औसत लंबाई और 30 सेमी (12 इंच) की औसत ऊंचाई के साथ सबसे छोटा खुर वाला स्तनपायी है। साथ ही सबसे छोटा सम उंगलियों वाला स्तनपायी भी है। इसका वजन 1 से 2 किलोग्राम होता है। नर मादाओं की तुलना में भारी होते हैं। इसकी पूंछ की औसत लंबाई लगभग 5 सेमी (2.0 इंच) होती है। माउस डियर को उनके व्यवहार और जीवाश्म रिकॉर्ड के आधार पर सबसे आदिम जुगाली करने वाला जानवर माना जाता है।

जगदलपुर। इस तरह के माउस डियर पाये जाते हैं बस्तर के जंगलों में।

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